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________________ याद पिछले जन्म की महत्त्वपूर्ण घटना यह सौरमण्डल हमारे आस-पास परिक्रमा कर रहा है और काल को अभिव्यक्त कर रहा है। जहां सौरमण्डल नहीं है, क्या वहां अतीत है ? वर्तमान और भविष्य है? इस प्रश्न का उत्तर देना बहुत कठिन है। अतीत किसने बनाया? वर्तमान का सृजनहार कौन है ? भविष्य का निर्माण कौन करता है ? इन सबका कारण है सूर्य । जहां सूरज नहीं है, सूरज की गति या क्रिया से होने वाला काल नहीं है वहां अतीत, वर्तमान और भविष्य को किस आधार पर माना जाए ? दिन उगा, रात अतीत बन गई और सांझ भविष्य । दिन है तो अतीत भी है, वर्तमान और भविष्य भी है। दिन कौन करता है ? सूरज आता है तो दिन होता है। सूरज न आए तो न दिन होगा और न रात। क्या सौधर्म कल्प देवलोक में दिन होता है ? इस प्रश्न का उत्तर यही होगा-दिन और रात होती ही नहीं है। न दिन न रात। घड़ी का कोई उपयोग नहीं है। वहां काल का नियम ही बदल जाता है। जहां सौरमण्डल है, वहां काल का नियम दूसरा है। हम सबको एक नियम से देखते हैं तो उलझन पैदा होती है। अंतरिक्ष में भी घड़ी की सूई कैसे घूमेगी ? वहां काल की गति बहुत मंद हो जाती है। काल का नियम परिवर्तित हो जाता है। गुरुत्वाकर्षण में जो काल का नियम है, वह उससे परे नहीं है। हम सौरमण्डल की सीमा में जी रहे हैं, इसलिए हमारा अतीत भी है, वर्तमान और भविष्य भी है। ये सब हैं तो जन्म भी बंट जाएगा-एक पहले का जन्म-पूर्व जन्म, एक वर्तमान का जन्म, एक होने वाला जन्म-पुनर्जन्म । एक ही आत्मा अनेक जन्मों में बंट जाएगी। एक ही जीव अनेक जीवों में बंट जाएगा। ऐसा होता है इसलिए स्मृति भी होती है। स्मृति समस्या भी है और उपयोगी भी है। जीवन की एक महत्त्वपूर्ण घटना है--पूर्वजन्म का मान। घाटक : सम्मोहन का अनिवार्य अंग मृगापुत्र अपने वातायन से राजपथ की ओर देख रहा था। उसने एक व्यक्ति को जाते हुए देखा। वह देखता ही रह गया। एकटक उस व्यक्ति को देखने लगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003082
Book TitleChandani Bhitar ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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