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मेरी दृष्टि : मेरी सृष्टि मुझे नहीं पता कि मुझे कहां जाना है। न कोठी का पता और न उसके नम्बर का पता। पर पता नही मेरी अन्तश्चेतना को इन सबका कैसे पता चला ! मझे जब यह लगा कि मैं अकेला रह गया हूं तब मैंने सबसे पहले एक काम किया कि मैंने अपने हाथ की घड़ी खोली और गले में से स्वर्णसूत्र को निकाला और दोंनो को जेब में रख लिया। मैं पीछे मुडा और अज्ञात की ओर चल पड़ा। मुझे नही पता, कहां जाना है, कहां जा रहा हूं । पर अन्तश्चेतना को कोई पता था, मैं ठीक स्थान पर पहुंच गया। कुछ समय बाद मेरे चाचा को पता चला कि मैं उनसे बिछुड गया हूं। तब उन्होनें मुझे ढूंढने के लिए दौड़धूप की । पुलिस-स्टेशन पर गए । मेरे गुम होने की रिपोर्ट लिखाई और वे मुझे खोजते-खोजते घर गए । नीचे से ही उन्होने चिल्लाना शुरू कर दिया--'नत्थू हमसे बिछुड गया । उसका कोई पता नहीं चला।' उनकी आंखें डबडबाई हुई थी। वे बहुत परेशान दीख रहे थे। उनकी बहन ने उन्हे कुछ क्षणों तक कोई बात नहीं बताई । फिर अचानक मुझे भीतर से बाहर लाकर उनके सामने खड़ा कर दिया। उनकी सारी परेशानी दूर हो गई। उन्होनें पूछा-'तू यहां कैसे पहुंचा ?' मेरे पास इसका कोई उत्तर नहीं था। जीवन में सब कुछ उत्तरित नहीं होता। कितना अच्छा होता कि मनुष्य अनुत्तरित का उत्तर दे पाता।
मेरे पिताजी चार भाई थे। बड़े भाई का नाम था गोपीचन्दजी। उनके एक पत्र था। उनका नाम था महालचन्दजी । युवावस्था में अचानक उनका देहावसान हो गया। पिता दुःखी । सारा परिवार दुःखी । मुझसे वे बहुत सेह रखते थे। मुझे भी बड़ा दुःख हुआ। अन्तर्मन मे एक चोट लगी। जीवन के प्रति किसी अज्ञात कोने मे एक अनास्था का भाव पैदा हो गया। ___ मुनि छबीलजी का चातुर्मास हुआ। मैने जीवन का एक दशक पूरा कर लिया। दूसरे दशक मे प्रवेश हो चुका था। उनके सहवर्ती मुनि मूलचंदजी ने मुझे प्रेरित किया-मै तत्त्वज्ञान पढूं । मैने अध्ययन शुरु किया। एक दिन मुनिद्वय ने मुझे मुनि बनने की बहुत हल्की-सी प्रेरणा दी । मेरा अन्त:करण झंकृत-सा हो गया, जैसे कोई बीज अंकुरित होना चाहता हो और उस पर पानी की फुहारें गिर जाएं । जैसे मेरा अन्तर्मन मुनि बनना चाहता हो और उनकी प्रेरणा की ही प्रतीक्षा हो। मुझे ऐसा ही अनुभव हुआ। मैने अपनी मां से कहा- 'मै मुनि होना चाहता हूं।' मां ने कहा- 'मै भी साध्वी होना चाहती हूं । पर कितना कठिन है यह मार्ग और कितनी कठिन है इसकी साधना ! तूने सोचा है ? ' मैंने कोई उत्तर नहीं दिया
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