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समस्या के समाधान का नया आयाम
हिन्दुस्तान जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा बड़ा राष्ट्र है और प्रजातंत्र की दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा राष्ट्र है । जो जितना बड़ा होता है उसकी समस्याएं भी उतनी ही बड़ी होती हैं। दो व्यक्तियों का एक साथ होना समस्या का आदि बिन्दु है । यह कैसे हो सकता है कि करोड़ों-करोड़ों लोग एक साथ जुड़े हुए हों
और समस्याएं न हों ? समस्याओं को अस्वीकार करना सत्य के साथ आंखमिचोनी जैसा है । समस्याओं को स्वीकार करें और मुक्तभाव से स्वीकार करें, फिर उसका समाधान खोजें, यह समस्या को सुलझाने का उपाय है ।
गरीबी हिन्दुस्तान की एक बड़ी समस्या है। करोड़ों-करोड़ों लोग रोटी जुटाने में ही अपना जीवन खपा देते हैं। गरीबी को मिटाने के लिए सरकार कृत-संकल्प है। समाजवादी समाज-व्यवस्था के संकल्प का भी पुनरुच्चार होता रहता है । उद्योग और व्यापार भी बढ़ा है। इतना होने पर भी वही शिकायत का स्वर गूंज रहा है-गरीब और अधिक गरीब हो रहा है, अमीर और अधिक अमीर हो रहा है। ___अनुशासन की समस्या है । शिक्षा-संस्थान से लेकर घर तक यही बात सुनने को मिलती है कि अनुशासन समाप्त हो चुका है, कोई किसी की बात मानने को तैयार नहीं है । क्या अनुशासन के बिना कोई भी समाज सभ्य, शिष्ट और प्रगतिशील हो सकता है ? अनुशासनहीनता भावी खतरों का स्पष्ट संकेत है। ___जातिवाद भी एक उग्र समस्या है । हजारों वर्ष पुराने संस्कार समाज को पीड़ा दे रहे हैं, आदमी के लिए आदमी अछूत बन रहा है। एक आदमी दूसरे आदमी के प्रति घृणा, द्वेष और तिरस्कार का विष उगल रहा है।
सामप्रदायिकता की समस्या और अधिक भयावह है । जिस धर्म को आस्था ने मनुष्य की बन्धुत्व और मैत्री का पाठ पढ़ाया था, वही आस्था आज मनुष्य को मनुष्य का प्राण लूटने के लिए उत्प्रेरित कर रही है । जिससे प्रकाश की रश्मियां विकीर्ण हो रही थीं, उससे अन्धकार प्रवाहित हो रहा है। पूरी मनुष्य जाति इस साम्प्रदायिकता के नाग से दंशित है।
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