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मेरी दृष्टि : मेरी सृष्टि प्रति समर्पित है,वह कभी उसकी मर्यादा का अतिक्रमण नहीं करता। मनुष्य में सत्य की आस्था को जगाया जा सके तो अनुसासन के लिए स्वतंत्र प्रयत्न आवश्यक नहीं होता । सत्य के सूत्र से बंधा हुआ व्यक्ति स्वयं अनुशासित हो जाता है। आत्मानुशासन का अर्थ है-सत्य का अनुशासन । इस अनुशासन को जीवन के अनेक स्तरों पर रूपायित किया जा सकता है
१. आत्मानुशासन का अर्थ है—प्राणशक्ति का संतुलन। २. आत्मानुशासन का अर्थ है-जैविक रसायनों का परिवर्तन ।
३. आत्मानुशासन का अर्थ है-शरीरबल, मनोबल और बुद्धिबल का संतुलन ।
४. आत्मानुशासन का अर्थ है—प्रियता और अप्रियता से मुक्त क्षण में जीने का अभ्यास।
५. आत्मानुशासन का अर्थ है—अपने भीतर हो रहे परिर्वतनों का अनुभव।
क्या अनुशासन की यह प्रक्रिया सामाजिक बन सकती है? वैयक्तिक प्रक्रिया से कुछेक व्यक्ति लाभान्वित हो सकते हैं। पूरे समाज का रूपान्तरण नहीं हो सकता । आज ऐसी प्रक्रिया की खोज अपेक्षित है,जो पूरे समाज में अनुशासन को प्रतिष्ठित कर सके। इस प्रश्न के उत्तर में बहुत सीधा सा मार्ग प्रस्तुत है—बौद्धिक विकास के लिए शैक्षणिक विकास सामाजिक बन सकता है,तब मानसिक प्रशिक्षण सामाजिक क्यों नहीं बन सकता? अनुशासन एक मानसिक प्रशिक्षण है। हम मन को प्रशिक्षण दिए बिना ही उसे अनुशासित रखना चाहते हैं । यह अद्भुत आशा है और ऐसी आशा है जिसकी पूर्ति कभी सम्भव नहीं है। अनुशासन के विकास का प्रयत्न असम्भव को सम्भव बनाने का प्रयल नहीं है। हम सम्भव को असम्भव माने हुए हैं । उस मान्यता को तोड़ने का प्रश्न है । उस मान्यता का टूटना व्यक्ति और समाज दोनों के लिए श्रेयस्कर है।
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