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________________ १८ . - मैं कुछ होना चाहता हूं होते हैं। भोजन के साथ शरीर का, चैतन्य-केन्द्रों का, वृत्तियों का कितना गहरा सम्बन्ध है, इसे जानना आवश्यक है। __आदमी के पास अपार सम्पदा है, भंडार भरा हुआ है, फिर भी वह भिखारी बना हुआ है। वह भिखारी, जो अच्छी आदतों को दूसरों से मांगता है, बद्धि और स्मृति को दूसरों से मांगता है। खोजता फिरता है कि बुद्धि का विकास कैसे हो? स्मृति कैसे बढ़े? अच्छा स्वभाव कैसे बने? अच्छी आदत कैसे पनपे? वह खोजता फिर रहा है। वह अपनी सम्पदा की ओर ध्यान ही नहीं देता। वह पूरा भिखारी है। जो दूसरों से मांगता है वह भिखारी होता है। चौराहे पर बैठकर रोटी-पैसे मांगने वाला ही भिखारी नहीं होता। मांगने वाला हर आदमी भिखारी होता है। एक भिखारी बैठा था। उसी रास्ते से राजा की सवारी निकल रही थी। पुलिस ने आकर कहा-यहां से हटो। राजा की सवारी आ रही है। भिखारी बोला-क्यों हटूं? रास्ता सबका है। मैं नहीं हटता। राजा कौन होता है हटाने वाला? पुलिस ने कहा-'राजा वह होता है जो चाहे सो कर सके। वह इतना समर्थ होता है कि चाहे जिसको देश से निकाल सकता है।' भिखारी बोला-अच्छा, इतना समर्थ होता है राजा! तो एक काम करो कि इस राज्य में जितने मच्छर हैं, जितनी मक्खियां हैं, उन सबको निकाल दो। यदि वह ऐसा कर देगा तो मैं समझूगा कि वह राजा है। पुलिस वाला देखता ही रह गया कि कैसा विचित्र है यह भिखारी ! पुलिस वाला बोला-यह तो सम्भव नहीं है। हमारा राजा ऐसा है जिसके महलों पर रात-दिन पहरा लगता है। भिखारी ने हंसते हुए कहा-वह कैसा राजा! वह तो कैदी है। जेल में रात-दिन पहरा होता है। राजा से कहो, वह पहरा हटा दे। इतने में राजा की सवारी पास आ गई। भिखारी राजा के साथ चल पड़ा। रास्ते में एक धर्म-स्थान था। राजा वहां उतरा। अन्दर गया। भगवान की मूर्ति के समक्ष प्रणाम किया और हाथ जोड़कर बोला, 'प्रभो! कृपा करें। मेरी सम्पत्ति बढ़े, परिवार बढ़े, वैभव बढ़े, सुख-सुविधा बढ़े।' वह याचना करता ही रहा। भिखारी कोने में खड़ा-खड़ा सुन रहा था। राजा उठा। बाहर आया। भिखारी को देखकर बोला-मांगने आये हो? मांगो। मिलेगा। भिखारी बोला-आया था मांगने । यही सोचा था कि राजा है, अमीर होगा। वैभवशाली होगा। मुझे देगा। मेरा दारिद्र्य मिट जायेगा। पर मैंने देखा ही नहीं, स्वयं सुना है कि आप तो बहुत बड़े भिखारी हैं। मैं छोटा भिखारी हूं। आप बड़े भिखारी हैं। ____ आज का आदमी इसी स्थिति से गुजर रहा है। उसके पास शक्तियों का अखूट खजाना है। पर दूसरों से निरन्तर याचना करता चला जा रहा है। वह अपनी शक्तियों को पहचान सकता है, यदि उसमें साधना का भाव जागे । साधना का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003080
Book TitleMain Kuch Hona Chahta Hu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages158
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size7 MB
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