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मैं कुछ होना चाहता हूं
चलेगा कि पारिवारिक कठिनाइयों में, जिद्द की प्रकृति सबसे ज्यादा तकलीफ देती है। एक बात पकड़ ली अब नहीं छोड़ेंगे। समूचे परिवार में एक कलह का वातावरण बन जाता है। शायद आप लोग ज्यादा अनुभव कर सकते हैं, भुक्तभोगी भी हो सकते हैं। हमें तो इतना अनुभव नहीं है। सुनते हैं, इसके परिणाम से एक घर में कई दीवारे खिंच जाती हैं, कई चूल्हें जल जाते हैं। चूल्हे जल जाएं, दीवारें खिंच जाएं, कोई बड़ी बात नहीं, किन्तु कटुता के कारण बाप और बेटा दस-दस वर्ष तक मिलते नहीं। बाप दूसरे व्यक्ति के आने पर हंस-हंस कर बातें करेगा, किन्तु लड़का सामने आने पर आंख ऐसे घुमा लेता है, चेहरा घुमा लेता है और अकस्मात् ही सामने आ जाए तो आंखों में गर्मी उतर जाती है। बड़ी अजीब स्थिति होती है। इसमें आग्रह का बहुत बड़ा योग होता है।
मानसिक असंतुलन का तीसरा कारण है-पक्षपात। पक्षपात भी कम कारण नहीं है। अपना संतुलन भी बिगड़ता है और सामने वाले का संतुलन भी बिगड़ता है। ये शिकायतें भी बहुत आती हैं कि मैं पिता का विनीत था और अभी हूं किन्तु पिता ने ऐसा पक्षपात किया कि एक बेटे को तो सारा धन दे दिया और मुझे अंगूठा दिखा दिया। बड़े भाई के प्रति छोटे भाई का, मां के प्रति लड़के का और सौतेली मां हो तो फिर कहना ही क्या! यह पक्षपात का भी एक बड़ा प्रश्न है। मालिक का भी अपने कर्मचारी के प्रति इस पक्षपात के कारण मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है।
असंतुलन का चौथा कारण है-असंतुलित आहार। असंतुलित आहार के कारण भी संतुलन बिगड़ जाता है। इस विषय पर कम ध्यान दिया जा रहा है, किन्तु आज की वैज्ञानिक खोजों ने इस बात पर बहुत प्रकाश डाला है। पागलपन जो होता है वह केवल मानसिक उलझनों के कारण नहीं होता। असंतुलित भोजन के कारण भी आदमी पागल बन जाता है। यह जो पोषण के निर्देशन का विषय है, यह बहुत महत्त्वपूर्ण है और ध्यान की साधना करने वाले व्यक्ति के लिए यह जानना बहुत जरूरी है। दस रोटियां खाएंगे. कोरा अन्न ही अन्न खाया, कार्बोहाईड्रेट खाया, श्वेतसार खाया, पेट तो भर जाएगा पर मस्तिष्कीय संतुलन बिगड़ जाएगा। प्रोटीन भी चाहिए, वसा भी चाहिए, लवण भी चाहिए, सब चाहिए। जब भोजन पूरा संतुलित होता है तो मस्तिष्क भी ठीक काम करता है, संतुलन उतना नहीं बिगड़ता, किन्तु जिस व्यक्ति को बहुत गुस्सा आता है, वह बहुत चिड़चिड़े स्वभाव का हो जाता है, बार-बार लड़ाई-झगड़ा करता है, दिन भर परिवार को सताता है तो उसको यह भी सोचना चाहिए कि कोई न कोई आहार का दोष इसके साथ जुड़ा हुआ है।
भगवान महावीर की एक यात्रा हुई थी आदिवासी बस्ती में-संथाल
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