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में कुछ होना चाहता हूं
स्वास्थ्य का लक्षण है-बीमारी की जड़ को उखाड़ देना। उखाड़ते समय बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह ध्यान केवल बाहर से बदलने वाली बात नहीं है। यह अन्त:स्पर्श होता है। भीतर से बदलने की प्रक्रिया शुरू होती है। इसलिए इसे न तो मादक-वस्तु कहा जा सकता है, न सामयिक उपचार कहा जा सकता है। यह दीर्घकालिक और जड़ को छूने वाला उपचार है। जब संस्कार समाप्त होते हैं तो फिर हमारे अभिनय भी कम होने लग जाते हैं। अभिनय तो सारा संस्कार के आधार पर चलता है। जब मूल संस्कार ही नहीं है तो आदमी नाना प्रकार के अभिनय कैसे करेगा?
प्रश्न होता है-ध्यान करने वाले व्यक्ति के मन में एक सहज ही विकल्प उठता है कि हम ध्यान के अधिकारी कहां हैं? बर्तन तो गंदा है, अच्छा भोजन उसमें उपयोगी कैसे बनेगा? कुछ डाल दिया जाएगा तो वह भोजन भी गंदा हो जाएगा। कैसे हो? तर्क तो ठीक लगता है। बात ठीक लगती है कि गंदे बर्तन में डाला हुआ भोजन भी गंदा हो जाएगा। यदि इस गंदगी से इस तर्क के सहारे डरते रहें तो काम बनेगा ही नहीं।
___ध्यान ही एक ऐसी शक्ति है जो गंदगी को अच्छाई में बदल सकती है। जिसमें यह शक्ति न हो कि वह गंदगी को अच्छाई में बदल सके. उसके लिये तो तर्क ठीक है। भोजन में यह ताकत नहीं है कि भीतर पड़ी हुई गंदगी को वह अच्छाई में बदल सके, स्वयं अच्छा रह सके किन्तु ध्यान में यह ताकत है कि स्वयं पवित्र है और आस-पास के वातावरण को भी पवित्रता में बदल देता है। गंदगी छट जाती है। ध्यान कहीं भी जाये, गंदे से गंदे हाथ में भी जाये तो हाथ पवित्र बन जायेंगे, और पवित्र बनाने का साधन ही क्या है? पानी कभी नहीं सोचता कि मैं गंदे हाथ में क्यों जाऊं? गंदे हाथ में जाऊंगा तो गंदा बन जाऊंगा। पानी यह बात सोचे तो गंदगी को मिटाने का उपाय ही समाप्त हो जायेगा। हमारे पास कोई उपाय नहीं है गंदगी मिटाने का। जहां गंदगी है, पानी जाता है और गंदगी को साफ कर देता है। उसके अतिरिक्त सफाई का हमारे पास साधन ही क्या है? पानी को यह भय नहीं होता कि मैं जाऊंगा और गंदगी साफ होगी या नहीं? ध्यान वह निर्मल जलधारा है जो जहां प्रवाहित होती है वहां सारी गंदगी समाप्त होती चली जाती है। निर्मलता आती है, चित्त निर्मल, शरीर निर्मल, वाणी निर्मल, श्वास निर्मल, सब कुछ निर्मल होते चले जाते हैं। हम इस बात से भयभीत न हों। ध्यान की भूमिका में कोई गंदा नहीं है। उसके लिए सब पवित्र होते हैं। हमारी एकनिष्ठा होनी चाहिए-गंदगी को मिटाने की क्षमता ध्यान में है। गंदगी को मिटाया जा सकता है और अभ्यास के द्वारा मिटाया जा सकता है। यह
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