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मैं मनुष्य हूं (२) आवश्यक है कि व्यक्ति व्यक्ति ही नहीं है, वह समाज भी है, वह समाज से जुड़ा हुआ है, समाज का घटक है। व्यक्ति अकेला नहीं है, वह दूसरा भी है। इस दृष्टि से स्वयं के लिए साक्षात्कार तथा दूसरे के लिए बुद्धि और तर्क । कल्पना करें कि किसी एक व्यक्ति में साक्षात्कार की क्षमता है, वह सचाई को साक्षात् जानता है, पर उसके पास यदि बुद्धिबल और तर्कबल नहीं है तो उसका ज्ञान स्व तक ही सीमित रहेगा। वह अपने सत्य को दूसरे तक नहीं पहुंचा पाएगा। वह अपने ज्ञान का संक्रमण नहीं कर सकता। उसको कम्यूनिकेट नहीं कर सकता। कम्यूनिकेशन के लिए बुद्धिबल और तर्कबल अत्यन्त अपेक्षित होता है। कोई व्यक्ति केवल बौद्धिक या तार्किक है तो वह सचाई तक नहीं पहुंच पाता। सचाई को हस्तगत करने के लिए साक्षात्कार की बहुत आवश्यकता है। यदि कोरी बौद्धिकता और तार्किकता हो, सचाई न हो तो न अपना भला होता है और न दूसरे का भला होता है। आज दार्शनिक और धार्मिक जगत् में बौद्धिकता और तार्किकता का साम्राज्य है। उसमें साक्षात्कार का बल हो तो इतने मतभेद नहीं हो सकते, इतने विवाद और संघर्ष नहीं हो सकते।
सचाई को पाने के लिए साक्षात्कार जरूरी है और अपने अनुभव को दूसरों तक पहुंचाने के लिए बुद्धि और तर्क जरूरी है।
एक तथ्य का प्रतिपादन कर देना या उसे कह देना अलग बात है और उसे दूसरे के गले उतार देना, हृदयंगम करा देना दूसरी बात है। जहां हृदयंगम कराने का प्रश्न आता है वहां बौद्धिक और तार्किक विकास बहुत जरूरी होता है। केवल कही हुई बात समझ में नहीं आती, परन्तु जब उसे तर्क से समझाया जाता है तब वह सीधी गले उतर जाती है, आदमी समाहित हो जाता है।
शिष्य ने गुरु से पूछा-गुरुदेव! इतने लोग धार्मिक उपासना करते हैं, धर्म चर्चा करते हैं, प्रवचन सुनते हैं, पर उनके जीवन-व्यवहार में कोई परिवर्तन परिलक्षित नहीं होता। यह क्यों?
बहुत गहरा प्रश्न था। तो आज भी यह प्रश्न खड़ा है। लगता है यह सार्वकालिक प्रश्न है। आज के धार्मिक जगत् की भी यही स्थिति है। लोग धर्म करते जा रहे हैं, पर उनके जीवन में कोई रूपान्तरण घटित नहीं होता।
गुरु अनुभवी थे। उन्होंने प्रश्न की गहराई तक प्रवेश किया और शिष्य से बोले-अच्छा प्रश्न है। एक काम करो। शराब से भरा एक घड़ा ले लाओ। शिष्य किंकर्तव्यविमूढ़ होकर गुरु के चेहरे को देखता रहा। समझ नहीं पाया कि प्रश्न का
और शराब के घड़े का क्या संबंध हो सकता है? उसने आदेश का पालन किया। शराब का एक घड़ा ले आया। गुरु ने कहा-सभी शिष्यों को यहां बुलाओ। सभी शिष्य वहां एकत्रित हो गए। गुरु ने आदेश की भाषा में कहा-'प्रत्येक शिष्य इस
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