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________________ इच्छा और अनुशासन हैं। यंत्रों का इतना विकास हुआ है, हो रहा है कि प्राणी की पूर्व-निर्धारित लक्षण सूची अस्त-व्यस्त हो रही है। कम्प्यूटर के आविष्कार ने सारे मानव मस्तिष्क में हलचल पैदा कर दी है। कम्प्यूटर गणित करता है और कविता भी करता है। वह रोग का निदान करता है तो साथ-साथ औषधियों का प्रेस्क्रिप्सन भी करता है। वह किसी पढ़े-लिखे डॉक्टर से अच्छा निदान करता है और रोग निवारण का सुझाव देता है। सोचना और चिन्तन करना-प्राणी का यह लक्षण भी डगमगा गया। कम्प्यूटर आदमी से अच्छा सोचता है, अच्छा निर्णय लेता है। इच्छा प्राणी का अकाट्य लक्षण हो सकता है। कम्प्यूटर और कुछ कर सकता है, इच्छा नहीं कर सकता। इच्छा प्राणी का गहनतम लक्षण है। यह एक ऐसी विभाजक रेखा है जो केवल प्राणी में ही होती है, अप्राणी में नहीं होती। सोचना मस्तिष्क का काम है। कम्प्यूटर भी एक प्रकार का मस्तिष्क ही है। वह मनुष्य के द्वारा बनाया गया है। मनुष्य के शरीर में रहने वाला कम्प्यूटर (मस्तिष्क) प्रकृति-प्रदत्त है। श्वास भी शरीर में होने वाली प्रक्रिया है। श्वास का केन्द्र शरीर में है। इच्छा शरीर के साथ चलने वाला यन्त्र नहीं है। बहुत गहरे में जाने पर उसका पता चलता है। यह भावना-जगत् में होने वाला एक आश्चर्य है। यह एक ऐसा दरवाजा है जो सूक्ष्म शरीर से आता है और स्थूल शरीर में खुलता है। इसी ग्रन्थि के आधार पर आकांक्षा और इच्छा पैदा होती है और उस इच्छा के आधार पर सारे कार्य चलते हैं। मन चंचल होता है इच्छा के द्वारा। इच्छा होती है अन्तर्मन में, गहरे सूक्ष्म जगत् में और मन बेचारा चंचल हो जाता है। वह चक्कर काटने लग जाता है। हम पकड़ना चाहते हैं मन को। वह हाथ में कैसे आएगा? एक पंखा तेजी से चल रहा था। एक ग्रामीण आया। उसे इतनी तेज हवा अच्छी नहीं लगी। उसने सोचा पंखे को बंद कर दूं। उसके हाथ में लाठी थी। वह उठा और लाठी को पंखे से अड़ा दिया। लाठी भी लडखड़ाई और पंखे की ताड़ियां भी लड़खड़ाई। उसने यह सोचकर लाठी नीचे कर दी कि संभवत: पंखा रुक गया है। पंखा फिर चलने लग गया। फिर तेज हवा आई। वह घबरा गया। उसने पंखे पर लाठी से दो चार प्रहार किए। लाठी भी टूट गई और पंखा भी हानिग्रस्त हो गया। उसने सोचा-पंखा जिद्दी है। इतना करने पर भी बन्द नहीं होता। क्या हम भी ऐसा ही नहीं कर रहे हैं? मन का पंखा चल रहा है। हम उसे बन्द करना चाहते हैं, पर स्विच ऑफ करना नहीं चाहते। जिस प्रेरणा से मन का पंखा गतिशील हो रहा है, उस प्रेरणा को रोकना नहीं चाहते। पंखा चलता है बिजली के प्रवाह से। स्विच ऑन करते ही बिजली प्रवाहित होने लग जाती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003080
Book TitleMain Kuch Hona Chahta Hu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages158
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size7 MB
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