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चक्षुष्मान् !
धर्म का अर्थ है - सम्यक्, यथार्थ, सत्य |
सम्यकदर्शन में, सत्य की खोज में धर्म का रहस्य उद्घाटित होता है ।
सत्य ही धर्म है और धर्म ही सत्य है । सत्य और धर्म को कभी वियुक्त नहीं किया जा सकता । अयथार्थवाद में धर्म को नहीं खोजा जा
सकता ।
धर्म का अर्थ है समता ।
अनुकूल और प्रतिकूल- हर परिस्थिति में होने वाला मन का संतुलन और भावात्मक संतुलन ।
मानसिक असंतुलन में धर्म को नहीं खोजा जा सकता ।
धर्म का अर्थ है शमिता, शांति, मन की शांति, अंतरंग शांति । अशांति में धर्म को नहीं खोजा जा सकता । इसीलिए कहा गयाजो बुद्ध हुए हैं और होंगे, उन सबका प्रतिष्ठान है शांति ।
धर्म का अर्थ
महावीर का संदेश है- सत्य का अनुसंधान करो, समता की साधना करो और शांति का अनुभव करो । उनके शब्दों में पढ़ें
सोच्चा वई मेहावी पंडियाणं णिसामिया समिया धम्मे आरिएहिं पवेदिते ।
तीर्थंकरों ने सम्यक्, समता और शमिता में धर्म कहा है। आचार्य की इस वाणी को मेधावी साधक हृदयंगम करें ।
1 जनवरी, 1996 जैन विश्व भारती
अपथ का पथ
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