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मैत्री क्यों ?
के साथ मैत्री नहीं की तो शिविर में आया, दस दिन रहा, श्वास लेना सीखा, दीर्घश्वास लेना सीखा, श्वास को रोकना सीखा, श्वास का संयम करना सीखा, शरीर को देखना सीखा, चैतन्य केन्द्रों को देखना सीखा, रंगों को देखना सीखा, सारी बातें सीख गया, पर मैत्री का पास लेकर शिविर से घर नहीं गया तो घरवाले तो यही मानेगे कि बरतन रीता का रीता है, जैसा गया था वैसा का वैसा है । फरक ही नहीं पड़ा है । यह ध्यान की असफलता होगी।
एक जर्मन जज से शिविर के अनुभवों के बारे में पूछा गया तो उसने कहा--मेरी पत्नी और मेरे बच्चे कहेंगे कि तुम बहुत अच्छे होकर आए हो, तब तीन माह के बाद लिखूगा कि मैं कैसा हूं, अभी क्या बताऊं ? सब इस बात को नोट करें कि शिविर की साधना के आज अनुभव बताने की जरूरत नहीं है । घर में जाकर, तीन महीने के बाद अपने परिवार के साथ रहकर फिर यह बता सके कि परिवार वालों ने आपको क्या प्रमाण पत्र दिया । फिर आप बता सकते हैं कि मेरा शिविर का क्या अनुभव है, क्या निष्पत्ति है ?
___ इस शिविर में पति-पत्नी भी हैं और सास बहू भी हैं । कई प्रकार के संबंधी लोग हैं । देवरानी और जेठानी भी हैं। सब प्रकार के लोग हैं । वे अपने घर में जाकर और दो-तीन माह के बाद अगर उनका प्रमाणपत्र मिल जाए, सास कहे कि बहू बहुत अच्छी मैत्री की भावना को लेकर आई है और बहू कहे कि सास में परिवर्तन आया है और मैत्री का भाव बढ़ा है तो मानें कि आपका यह शिविर बहुत सफल हुआ है। अगर ऐसा नहीं हुआ है तो फिर आपको सोचना होगा कि किया तो था किन्तु बीज ठीक बोया नहीं गया। बीज बोया तो था पर सूखा पड़ गया, वर्षा नहीं हुई, बीज अंकुरित नहीं हुआ। फिर से बीज की बुआई करनी पड़ेगी। कभी-कभी एक ही मौसम में किसान को दो-तीन बार की बुआई करनी पड़ जाती है। आपको भी बुआई करनी पड़ेगी । जब तक मैत्री का भाव प्रबल न बन जाए, तब तक आपके ध्यान की साधना सफल नहीं होगी। इस कसौटी को सामने रखकर आप ध्यान का प्रयोग करें।
मैत्री के विकास से सचमुच आपके जीवन में स्वास्थ्य का विकास होगा, सुख का विकास होगा, प्रसन्नता का विकास होगा, विद्युत् का विकास होगा, शांति का विकास होगा और प्रसन्नता लहराएगी। इन सारी निष्पत्तियों के लिए आप मंत्री का मूल्यांकन करें और इसके विकास के लिए प्रेक्षाध्यान का मूल्यांकन करें। आपका दस दिन का प्रवास बहुत सार्थक होगा और आपको अनुभव होगा कि आपने बाहरी दुनिया से हटकर भीतर की दुनिया में जीने का कोई मंत्र सीखा है और वह मंत्र सिद्ध हो गया है।
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