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मत्री क्यों ?
इस व्यक्ति को मैं इस बुराई से छुड़ा साकं । जब संगम ने महावीर को इतना कष्ट दिया, महावीर के मन में करुणा जागी, उसके प्रति कोई बुरी भावना नहीं जागी । केवल इतना ही कहा कि मुझे निमित्त बना कर संसार तर रहा है और तू मुझे निमित्त बनाकर डूब रहा है। मन में करुणा जागी, घृणा का भाव नहीं जागा।
मैत्री विकास जिसमें होता है उसमें विनोद की भावना जागती है। विनोद जीवन के महावृक्ष का वह सुन्दरतम पुष्प है जिसमें सुगन्ध भी है और सौन्दर्य भी है और रस भी है। हर कोई आदमी विनोदी नहीं हो सकता । विनोदी वही हो सकता है। जिसके मन में मैत्री का गहरा भाव है। नहीं तो थोड़ी सी बात हुई और त्यौरियां चढ़ जाएंगी। विनोद कितनी बड़ी शक्ति है । मैंने देखा कि भगवान महावीर भी विनोद किया करते थे। आचार्य भिक्षु बहुत विनोदी थे। अनेक घटनाएं हैं आचार्य भिक्षु की। बात तो जानीसुनी है। एक बार मुनि हेमराजजी भिक्षा लेकर आए और अनेक प्रकार की दाल मिलाकर ले आए । आचार्य भिक्षु ने उलाहना दिया कि दाल मिलाकर क्यों लाए ? कोई बीमार हो सकता है। अलग-अलग लाते । कड़ा उलाहना दे दिया। उनके मन में भी कुछ आ गया और वे लेट गए । समय था भोजन का । सब साधु भोजन करने बैठे, पर हेमराजजी वहां नहीं थे। आचार्य भिक्षु समझ गए। पूछा तो कहा कि सामने खूटी ताने लेटे हैं । आचार्य भिक्षु ने वहां बैठे-बैठे ही कहा-'हेमराज ! क्या कर रहा है ? अवगुण मेरा देख रहा है कि अपना देख रहा है ? बस, इतने में तो मुनि हेमराजजी उठे और भोजन करने आ बैठे।
आचार्यश्री भी बहुत विनोद करते हैं । विनोद के अनेक प्रसंग हैं। जोधपुर में एक भाई आया। वह विपक्ष का था। उसका इरादा अच्छा नहीं था । प्रवचन के बाद आया, तब आचार्यश्री टहल रहे थे। वह बोलामहाराज ! मेरा लड़का गुम हो गया है। आचार्यश्री ने बड़ी सहानुभूति के साथ कहा-यह तो बड़ा बुरा हुआ। इतने में ही उसने बात को बदलते हुए कहा-महाराज ! उसको खोजूं या नहीं ? खोजूं तो मुझे धर्म होगा या पाप होगा ? आचार्यश्री भी समझ गए। दार्शनिक उत्तर भी दिया जा सकता था, पर आचार्यश्री ने कहा-अरे भाई ! तुम भी बड़े विचित्र हो ! जब लड़का पैदा किया तब तो मुझे नहीं पूछा कि पुण्य होगा या पाप, और जब खोजने की बात है तब पूछ रहे हो कि पुण्य होगा या पाप ? जो पैदा करने में हुआ, वही खोजने में होगा। बेचारा बोला नहीं, सीधा सीढ़ियों से नीचे उतर गया।
हर व्यक्ति में वह विनोद नहीं हो सकता । विनोद उसी व्यक्ति में हो सकता है जिसमें मैत्री का विकास होता है। जो मैत्री का विकास करता है
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