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जीबन की पोथी
स्वीकार है आप उपाय बताएं और मुझे साधना में उतारें । वह साधना करने लगा। तीन वर्ष में सिद्धि मिल गई । उसने संत के चरणों में मस्तक झुकाकर पूछा- आपने तो कहा था कि साठ वर्ष लगेंगे और मुझे तीन वर्षों में ही सिद्धि मिल गई । संत बोले मैंने ठीक ही कहा था । जब तक उतावलापन होगा, संदेह और संशय होगा तो समय अधिक लगेगा ही । तुमने दोनों को छोड़ दिया तो सिद्धि तीन वर्ष में प्राप्त हो गई । तीन वर्ष में वीतरागभाव प्राप्त हो सकता है । शर्त इतनी ही है कि मन में संदेह और असमंजसता न हो । दो मार्ग हैं- एक है राग का मार्ग और दूसरा है वीतराग का मार्ग । एक मार्ग का चुनाव कर वीतराग मार्ग पर चलने के लिए तत्पर हों तो उतावल न करें । मन में पूर्ण आस्था के साथ एक-एक कदम आगे बढ़ें। हमें कोरे ज्ञान और कोरे दर्शन की अनुभूति होगी, बोध होगा । यही ज्ञान ईश्वर है ।
हम चलें ।
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