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जीवन की पोथी नहीं बचती। वहां बैठा आदमी भी उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता । आज अणु-विस्फोट अमेरिका और रूस में होता है, किन्तु उसका परिणाम कौन नहीं भोगता ? क्या भारत का मनुष्य उसके परिणामों से बच पाएमा ? हिमालय की कन्दरा भी क्या अणुधूलि से बच पाएगी? विश्व का कोई भी भाग अणुलि से बचा हुआ नहीं है । संक्रमण का जगत् है । क्रिया एक स्थान पर होती है और उसकी प्रतिक्रिया सर्वत्र फैल जाती है।
साधना का अर्थ है-दृष्टि का परिवर्तन, देखने का अभ्यास। हम देखना सीखें । देखने में मुख्यतः दो दृष्टियां बनती हैं। एक किसान खेत में बीज बोने जा रहा था । उसे मार्ग में एक साधु मिला। उसको देखते ही किसान घबरा गया। सोचा, अरे अपशकुन हो गया ! वह बडबड़ाया--सिर बड़ा है, पर केस एक भी नहीं है। इसका मतलब है इस बार कड़वी होगी, सिट्टे भी होंगे, पर उनमें दाना नहीं पड़ेगा । वह निराश हो गया ।
साधु कुछ आगे बढ़ा । एक दूसरा किसान भी खेत की बुवाई करने के लिये घर से निकला था । साधु को सामने आते देखकर वह अत्यन्त मुदित हो उठा । वह बोल पड़ा-अरे ! आज तो बहुत शुभ शकुन हुआ है। इस बार लगता है कि इसके सिर जितने बड़े-बड़े सिट्टे होंगे, जो दानों से लबालब भरे होंगे।
___ साधु एक पर उसको देखकर दो भिन्न व्यक्तियों में दो प्रकार के परिणाम उठे। वर्षा हई । परिणाम भी अपनी-अपनी भावना और दष्टिकोण के अनुसार आया । पहले किसान के खेत में कड़बी हुए, दाना एक भी नहीं मिला । दूसरे किसान का खेत धान से लहलहा उठा। एक ही घटना से अनेक निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। एक ही शब्द के पचासों अर्थ हो सकते
हमारा दष्टिकोण ऐसा बने कि हम यथार्थ को पकड़ सकें। साधना के परिणाम के बाद ही यह पूर्ण घटित होता है, पर प्रारम्भ से ही इस ओर गति होनी चाहिए। आदमी पहले ही उलझ जाता है ।
समाज के साथ रहते हुए भी अकेला जीना- यह सूत्र उसी व्यक्ति को प्राप्त होता है जो निश्चय और व्यवहार ---दोनों दृष्टियों से सोचता है, देखता है । यह सही है कि सामुदायिक जीवन जीने वाला व्यक्ति अनेक अवस्थाओं से गुजरता है । उसे कभी उच्च अवस्था और कभी अवच अवस्था से गुजरना होता है। अनेक प्रकार के व्यक्ति, अनेक प्रकार की रुचियां, अनेक प्रकार के आचरण और व्यवहार - इन सबसे उसका सम्पर्क होता है । इस स्थिति में अपना संतुलन बनाए रखना, एक महत्त्वपूर्ण बात है।
गुरजिएस ने अकेले रहने का प्रयोग समूह में रहकर ही किया। महावीर ने भी अन्यत्व और एकत्व अनुप्रेक्षा का प्रयोग समूह में रहकर ही
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