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प्रश्न है आदत को बदलने का
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को नहीं जगा देते।
प्रेक्षाध्यान का मूल उद्देश्य है-भावनात्मक परिवर्तन । भाव बदलना चाहिए, हमारी आदतों में परिवर्तन आना चाहिए। यदि कोई परिवर्तन नहीं आता है तो फिर किया तो क्या और नहीं किया तो क्या ? खाने पर भी भूख नहीं मिटती और न खाने पर भी भूख नहीं मिटती है तो फिर खाने का अर्थ ही क्या है ? ऐसा काम ही क्यों करें ? कोई काम करें चाहे अच्छा काम या बुरा काम जिससे कि दूसरों को पता चले कि अच्छा काम किया है या बुरा काम किया है। अच्छा हो तो भी पता होना चाहिए और बुरा हो तो भी पता होना चाहिए। यदि पता न लगे तो अच्छाई भी बेकार और बुराई भी बेकार । अच्छा काम करे और कोई उसे अच्छा न कहे तो मजा नहीं आता और बुरा काम करे और उसे बुरा न कहे तो मजा नहीं आता। प्रेक्षाध्यान का अभ्यास किया, घर पर गए और दूसरों को भी परिवर्तन नहीं लगा तो फिर करने का अर्थ कम हो जाता है। बदलना चाहिए, बदलना बहुत जरूरी है। हमारा ध्यान कोई आकाश में उड़ने के लिए नहीं है कि तुम ध्यान करो और आकाश में उड़ो। प्रेक्षाध्यान पानी पर चलने का चमत्कार नहीं है। आज तो विज्ञान ने ऐसे चमत्कार पैदा कर दिये कि किसी को चमत्कार की साधना करने की आवश्यकता नहीं है। दुनिया का सबसे बड़ा चमत्कार है अपनी आदतों को बदलना। इससे बड़ा चमत्कार कोई दिखा ही नहीं सकता और जो व्यक्ति अपनी आदत को बदल देता है, वह दुनिया का सबसे बड़ा चमत्कारी आदमी है।
___ आज समाज में बेईमानी, अनैतिकता, अप्रामाणिकता और कितने गलत व्यवहार चल रहे हैं, उन्हें कैसे बदला जाए? यह एक अहम प्रश्न है। मुझे लगता है, केवल वाचिक प्रयत्नों के द्वारा उनमें परिवर्तन आ सकेमुझे संभव नहीं लगता। संभव क्या, १०० वर्ष भी हम प्रयत्न करते जाएं तो रहेंगे जहां के तहां, आगे नहीं बढ़ पाएंगे। बिना अभ्यास के बदला नहीं जा सकता । अर्जुन ने कृष्ण से पूछा कि मन इतना चंचल है, इसे कैसे पकड़ा जा सकता है ? यह वायु की भांति चंचल है, इसका निग्रह कैसे किया जा सकता है ? कृष्ण ने उत्तर दिया कि इस दुनिया में निरुपाय कुछ भी नहीं है। सबका उपाय है। मन के निग्रह का पहला उपाय है- अभ्यास । अभ्यास के द्वारा मन पर नियंत्रण किया जा सकता है । अभ्यास करेगा वह निश्चित पहुंच जाएगा। अभ्यास नहीं करेगा वह हजार वर्ष में भी नहीं पहुंच पाएगा। आदत को बदलने का उपाय है अभ्यास । हम अभ्यास ही न करें, चलें ही नहीं तो पहुंच ही नहीं पायेंगे। निश्चित हमें अभ्यास करना पड़ेगा। जितनी समस्याएं हैं वे सारी चंचल मन की समस्याएं हैं। उन्हें बदला जा सकता है। आज हिन्दुस्तान के लिए बहुत जरूरी है कि अभ्यासों
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