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________________ प्रश्न है आदत को बदलने का १०३ और व्यवहार के आधार पर आदमी को अच्छा या बुरा बताता है। किन्तु आलोचना करने वाला व्यक्ति स्थूल बात को नहीं पकड़ेगा, वह सूक्ष्म बात तक जाएगा। इसलिए यह कहना मुझे बहुत पसन्द है कि व्यक्ति जितना अपने आपको समझ सकता है, दूसरा २० प्रतिशत से ज्यादा उसे नहीं समझ सकता। बहुत अच्छा व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों की दृष्टि में बहुत खराब हो जाता है और बहुत खराब व्यक्ति दूसरों की दृष्टि में बहुत ज्यादा प्रामाणिक हो जाता है। प्रमाण किसे माने ? तुला किसे माने ? मानना तो होता है कि व्यवहार के जगत् में जीने वाला आदमी व्यवहार का अतिक्रमण नहीं करता। उसे व्यवहार को मानकर चलना होता है । व्यवहार व्यवहार है और निश्चय निश्चय है। निश्चय में सचाई यह है कि आदमी जो अपनी आलोचना करता है, अपने आपको देखता है, वह अपने आपको समझ सकता है, दूसरा कभी नहीं समझ सकता। आदत को बदलने का सबसे पहला सूत्र हैआलोचना, अपने आपको देखना, अपने आपका निरीक्षण करना, अपनी आदतों, प्रवृत्तियों और व्यवहार का निरीक्षण करना । जब आलोचना होती है तब सारे भावों का और व्यवहारों का साक्षात्कार होता है और तब परिवर्तन की बात आती है। आलोचना करते-करते पता चलता है कि मैं कैसा हूं ? अभी तीन बजकर १५, १६ मिनट हो रहे हैं। आलोचना करने वाला सोचेगा कि ढाई बजे मैं कैसा था ? दो बजे मैं कैसा था ? पूरा देखना है, पूरा चित्र अपने सामने उभारना है । प्रातःकाल सूर्योदय के समय व्यक्ति जैसा था, नौ बजे के समय व्यक्ति वैसा नहीं होता । नौ बजे जैसा होता है, बारह बजे वैसा नहीं होता । बारह बजे जैसा होता है, तीन बजे वैसा नहीं होता और तीन बजे जैसा होता है, छह बजे वैसा नहीं होता। कालचक्र के साथ स्वभावचक्र बदलता चला जाता है। इस आधार पर ज्योतिषियों ने और आज के वैज्ञानिकों ने बहुत तथ्य सामने रखे हैं कि किस समय क्या करना चाहिए ? किसी व्यक्ति को कोई प्रार्थना करनी है तो किस समय करनी चाहिए ? किसी व्यक्ति से कोई काम करवाना है तो किस समय करवाना चाहिए ? किसी व्यक्ति के साथ कोई लेन-देन करना है तो किस समय करना चाहिए ? कालचक्र के साथ-साथ सारा निर्धारण किया है। प्रातःकाल एक प्रकार का मूड होता है और मध्याह्न में दूसरे प्रकार का हो जाता है। यदि आप प्रातःकाल एक व्यक्ति को एक बात कहेंगे तो वह आपकी बात मान लेगा। वही बात एक बजे की गर्मी में कहेंगे तो गुस्से में आकर ठुकरा देगा। कालचक्र और स्वभावचक्र- दोनों साथ-साथ चलते हैं। ____ व्यक्ति बहुत बदलता है जब वह स्वयं आलोचना करता है। दूसरा कोई कहता है तो तनाव पैदा हो जाता है । वह सोचता है, यह मेरी आदत खराब बता रहा है, अब तो इस आदत को छोडूंगा नहीं। किन्तु जब वह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003077
Book TitleJivan ki Pothi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size8 MB
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