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७२ । तट दो : प्रवाह एक
चले जाते हैं । वायु-चारण हवा को पकड़ उड़ जाते हैं। जलद-चारण मेघ के, अवश्याय-चारण ओस के सहारे उड़ जाते हैं । इस प्रकार नभोगति की विविध रूप-रेखाएं हैं। यूरी गारिन की आकाश की उड़ान से आज समचा विश्व आश्चर्यचकित है। भारत के अपने आन्तरिक बल से एक दिन समूचा संसार आश्चर्यचकित था। आज यन्त्रवाद फिर अध्यात्म को चुनौती दे रहा है। क्या भारत में उसे झेलने की क्षमता है ?
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