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________________ सह-अस्तित्व । ४५ ग्रस्त हुआ और दूसरा महायुद्ध छिड़ गया। __ असह-अस्तित्व में विश्वास करने का अर्थ है, शस्त्रीकरण तथा युद्ध में विश्वास और समझौता-नीति और सापेक्षता में अविश्वास। मनुष्य यदि यांत्रिक होता तो वह एक ही प्रकार से सोचता और एक ही प्रकार से काम करता । परन्तु वह यांत्रिक नहीं है। वह अपनी पूर्ण चैतन्य-सत्ता का उपभोक्ता है। इसीलिए वह अपने-आप में पूर्ण स्वतंत्र है। वह एक ही प्रकार से नहीं सोचता और एक ही प्रकार से नहीं करता। वह उसकी सहज प्रवृत्ति है। किन्तु मनुष्य ने मनुष्य-जाति की इस सहज प्रवृत्ति को ही कलह या युद्ध का हेतु बना रखा है। सापेक्षता में अविश्वास करने वाले इस बात को भुला देते हैंमनुष्य यांत्रिक नहीं है । वह अपनी पूर्ण चैतन्य-सत्ता का उपभोक्ता है।' इस विस्मृति का परिणाम ही असह-अस्तित्व है। जिनको सह-अस्तित्व में विश्वास नहीं है, उन्हें मानवता में विश्वास नहीं है । उनका विश्वास मनुष्य को यांत्रिक बनाने में ही है। किन्तु यह मनुष्य-जाति के प्रति बहुत जघन्य अपराध है। सह-अस्तित्व का अर्थ है--मनुष्य के सोचने, करने तथा अपने ढंग से चलने की स्वतन्त्रता में विश्वास । 'या मैं या तुम' यह विनाश का मार्ग है। विकास का मार्ग यह है कि 'मैं भी रहं और तुम भी रहो' । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003076
Book TitleTat Do Pravah Ek
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1967
Total Pages134
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size5 MB
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