________________
एशियामें जनतंत्र का भविष्य
मनुष्य में वृत्तियों के दो वर्ग होते हैं। पहले वर्ग में तीन एषणाएं आती हैं और दूसरे वर्ग में तीन आकांक्षाएं । तीन एषणाएं :
१. कामैषणा
२. वित्तैषणा
३. सुत्तैषणा
कामैषणा ' मनुष्य की मूल-वृत्ति है । वित्तैषणा उसकी पूरक है । सुत्तैषणा अपने को अमर रखने की मनोवृत्ति है ।
तीन आकांक्षाएं : १. जिजीविषा
२. मुमुक्षा
३. वीप्सा
: काम-वृत्ति
: अर्थार्जन की वृत्ति : सन्तान की इच्छा
Jain Education International
: जीने की इच्छा
: स्वतंत्र रहने की इच्छा : विस्तार की इच्छा
मनुष्य की ये एषणाएं और आकांक्षाएं क्रियान्वित होती हैं । इनका क्रियान्वयन ही सामाजिक जीवन है। जहां सामाजिक जीवन है, वहां शासन है ।
विश्व के अंचल में अनेक शासन पद्धतियां थीं और हैं । जो वर्तमान है, उनमें जनतंत्र अधिक स्वस्थ प्रतीत होता है । इसमें व्यक्ति को आर्थिक, सामाजिक, वैचारिक और राजनीतिक सभी प्रकार की स्वतन्त्रता प्राप्त होती है । मेरी दृष्टि में जनतंत्र अहिंसा का राजनीतिक स्वरूप है ।
अहिंसा के तीन आधार हैं : १. अपरिग्रह, २. समानता, जनतंत्र के भी तीन आधार हैं : १. व्यक्तिगत परिग्रह का नियमन २. समानता
३. स्वतन्त्रता
३. स्वतन्त्रता ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org