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तर्ककी सीमा प्रत्यक्ष या सीधी बातके लिए तर्क आवश्यक नहीं होता। तर्कका क्षेत्र है, अस्पष्टता । स्पष्टता माने है प्रत्यक्ष । प्रत्यक्षका अर्थ है तर्कका अविषय । तर्ककी अपेक्षा प्रेम और विश्वास अधिक सफल होते हैं । जहाँ तक होता है वहाँ जाने-अनजाने दिल सन्देहसे भर जाता है । जहाँ प्रेम होता है वहाँ सहज विश्वास बढ़ता है ।
श्रद्धाके आलोकमें जो सत्य उपलब्ध होता है, वह बुद्धि या तर्कवादके आलोक में नहीं होता।
भाव और अनुभाव
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