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कृतज्ञता
कृतज्ञताके दो शब्दोंका मूल्य वह नहीं आँक सकता, जो केवल लेना ही जाने । जिसके पास कृतज्ञताके दो शब्द
भी देने को न हों, उससे दरिद्र कौन होगा? । एक पुष्प अपने उपादानोंसे उतना भिन्न हो ही नहीं पाता कि वह उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करे।
भाव और अनुभाव
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