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अनावृत
मनकी शुद्धि और दिलकी भलाई न मिले तो साफ़-सुथरा शरीर
और मदु मसकान केवल धोखा है। फटे-चिथड़े और रूखा व्यवहार महत्ताको ढाँक नहीं सकते।
नम्रता
दूसरोंके गुणोंके प्रति जो अनुराग और अपनी वृत्तियोंमें जो मृदुता होती है वही नम्रता है। बुराई या अन्यायके सामने झुकना नम्रता
नहीं, कायरता है।
भाध और अनुभाव
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