________________
प्रिय
जो मनको भाता है वही प्रिय है । प्रिय क्या है और क्या नहीं ?
इसे परिभाषा में नहीं बाँधा जा सकता । प्रत्येक व्यक्तिकी अपनी-अपनी रुचि और अपना-अपना मनोभाव होता है । प्रत्येक व्यक्ति देश, काल और परिस्थिति के अनुसार किसीके प्रति झुकता है तो किसीसे दूर होता है । एक ही वस्तुके साथ प्रियताका शाश्वत बन्धन नहीं होता ।
६०
Jain Education International
C
For Private & Personal Use Only
भाव और अनुभाव
www.jainelibrary.org