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हिरनी छलाँगें भर रही थी ।
संगीतकी ध्वनि कानोंमें आ टकरायी ।
छिद्र
चरण रुक गये ।
छोटे-से छेदने गतिरोध पैदा कर दिया | छेद आखिर छेद ही होता है, भले फिर वह छोटा हो या बड़ा ।
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मार्ग खुल जाये तो ?
नीमका कीड़ा नीममें ही आनन्द मानता है । भी कैसे ? यदि उसे आमका पेड़ और उसकी तो क्या वह वापस नीममें आना चाहेगा ?
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न माने तो जिये महक मिल जाये
भाव और अनुभाव
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