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किधर विमुखतासे दूरी बढ़ती है और उन्मुखता सामीप्य लाती है । कलकत्तासे हम चले और घसड़ी आये। कलकत्ता चार मील दूर था और दिल्ली आठ सौ इक्यासी मील। किन्तु हम दिल्लीके उन्मख थे और कलकत्ताको ओर पीठ किये हुए चल रहे थे। हमने देखा, एक दिन दिल्ली चार मोल दूर है और कलकत्ता आठ सौ इक्यासी मील ।
जागरण
सोनेके लिए जागनेवाले बहुत होते हैं पर जागृतिके लिए जागनेबाले विरले ही होते हैं।
भाव और अनुभाव
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