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टीस "मैं नहीं होता तो प्रकाशको कौन पूछता? मैंने जिसे जीवन दिया वह मेरी पीठपर प्रहार करे, कैसी कृतघ्नता ?'
तिमिरके इन शब्दोंमें एक गहरी टीस है, आह है, पुकार है और है एक...
आवेग अपनी सम्पत्तिमें धैर्य होता है, पर-सम्पत्तिमें आवेग । पानीका पूर आता है, तटवर्ती वृक्षोंको धराशायी करता चला जाता है। पर्वतके पानीका उसमें क्या बिगड़ा ? शोभा नदीकी घटी, तट नदीका टूटा ।
भाव और अनुभाव
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