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स्मृति और विस्मृति
बहुत बार हम शब्दात्माको भुलाकर भी अर्थात्माको नहीं भुलाते और बहुत बार हम अर्थात्माको भुलाकर भी शब्दात्माकी रट लगाया करते हैं । दोनोंको अपूर्ण कहा जा सकता है पर दोषपूर्ण नहीं |
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भाव और अनुभाव
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