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समझसे परे
अवसरको समझकर बरतना एक बात है और अवसरवादिता दूसरी बात । अवसरको जानना बुरा नहीं, उसे जानकर बरतना बुरा नहीं, बुरा है उसका वाद । 'वाद'ज्ञान और समझसे परे होता है।
माव और अनुभाव
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