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रोटी और मानवता रोटी मानवके लिए ज़रूरी है किन्तु वह उसका मूल्य नहीं है। मानवता रोटी-जैसी ज़रूरी नहीं लगती पर वह मानवका सही मूल्य है। रोटीके बिना मनुष्य मरता है और विवेकके बिना मानवता।
भाव और अनुभाव
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