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अश्रुवीणा / ६१ पर कश बना है। कर् चासौ कशश्च कर्कशः। यह शब्द साहसी, कठोर, रूखा, दृढ़,निर्दय, क्रूर आदि अर्थों का वाचक है या ये पर्याय शब्द हैं। कर्कश शब्द से हिंसा और क्रूर ध्वनि दोनों द्योतित हैं। हृदय के भाव - करुणा, श्रद्धा, दया, मैत्री, विश्वास आदि की जहाँ हिंसा हो और तजनित क्रूर शब्दों का कोलाहल हो, ऐसे स्थान पर अच्छे सम्बन्ध कैसे ठहर सकते हैं । सम्बन्ध तो हृदय के भावों के राज्य में होते हैं तर्क राज्य में नहीं। तर्क के कर्कश विशेषण से जिन भावों की अभिव्यक्ति हो रही वैसा अन्य शब्दों - कठोर, क्रूर आदि के प्रयोग से संभव नहीं था।
स्यात्कर्कशः साहसिकः कठोरामसृणावपि-अमरकोश 3.3.217 कर्कशः परुषे क्रू रे कृपणे निर्दये दृढ़े। इक्षौ साह सिके कासमर्द काम्पिल्लयोरपि॥
विश्वकोश. 169.27-28 तर्काः- तर्क का बहुवचन रूप है । कल्पना, अन्दाज, चर्चा, संदेह, न्याय। मो. विलियम्स संस्कृत-अंग्रेजी कोश पृ. 439 में निम्न अर्थ किया गया है - Conjecture, guess, suspect, try to discover or ascertain etc. ___ यह दो धातुओं से निष्पन्न हो सकता है। तर्क भाषार्थ' चुरादि गणीय धातु से भावे घञ् (पा. 3.3.18) से घञ्प्रत्यय होकर तर्क प्रथमा बहुवचन में तर्काः बना है। तुदादिगणीय कृती छेदने धातु से अच् अथवा घञ् प्रत्यय तथा पृषोदरादीनि यथोपदिष्टम् (पा. 6.3.109) सूत्र से वर्णविपर्यय होकर तर्क शब्द बना है। जहाँ पर हृदय के रमणीय एवं मनोज्ञ भावों का छेदन-भेदन हो जाए वह तर्क है। इस अर्थ में तर्क का साभिप्राय एवं यथोचित प्रयोग हुआ है । यहाँ कवि की कुशलता सिद्ध है।
सत्सपर्काः - साधुसंबन्धाः। अच्छे संबंध ।
पदम् – पद शब्द के अनेक अर्थ हैं । यहाँ पर स्थान, आवास, अवस्था, स्थिति, हृदय में स्थान, आदि का वाचक है। स्थान स्थिति के अर्थ में इस शब्द का प्रयोग - तदलब्धपदं हृदिशोकघने
रघुवंश 8.91 अर्थात् हृदय में स्थान न पाया।
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