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२. मंत्र क्या है ?
। मंत्र क्या है ? , शब्द, ध्वनि, आवृत्ति, गति, तापक्रम, भावना और श्रद्धा का समन्वित
चित्र मंत्र है। । स्मृति, कल्पना और चिन्तन-सब शब्दात्मक होते हैं। । शब्द हमें सर्वाधिक प्रभावित करता है। , चंचलता क्या है ?
शब्द-जल्प और अन्तर्जल्प
ज्योति-दर्शन होने पर शब्द छूट जाता है। , इड़ा, पिंगला के प्रवाह में बहिर्मुखता। । सुषुम्णा जब खुलती है तब अन्तर्मुखता।
जल्प (वैखरी) में शब्द और अर्थ में भेदाभेद । ज्ञान (पश्यन्ती) में शब्द और अर्थ में अभेद । यही मंत्र-साक्षात्कार है। इसके तीन फलित१. विकल्प-शान्त २. आत्म-साक्षात्कार ३. शक्तियों का जागरण
हम शब्द से जितने प्रभावित हैं उतने और किसी से नहीं हैं। हमारा सारा जगत् शब्दमय है। भारत में एक दर्शन है। जो शब्द को ब्रह्म मानता है। वह है शब्दाद्वैतवाद । मैं इस दर्शन की मीमांसा नहीं कर रहा हूं।
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