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१५४ : एसो पंच णमोक्कारो
F
पूर्व ॐ
- पश्चिम
ता
असिआउसा-गर्भित-मंत्र
दल वाले हृदय-कमल में ज्योतिर्मय 'अ सि आ उ सा' का प्रदक्षिणा में ध्यान करना ।
१. अ-नाभि सि-मस्तक
आ—कण्ठ उहृदय सा-~~-मुख
सि अ.
सा
।
आ.
(पांच अक्षरों के जाप से--मुक्ति) अ—बन्दीमोक्ष, सि—शान्तिकर्म, आ-जनवशीकरण, उ-कर्ममोक्ष, सा -तान्त्रिक षट् कर्म में सिद्धि ।
२. ॐ असिआउसा नमः । ३. ॐ ह्रीं श्रीं अहँ असिआउसा नमः ।
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