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________________ ६२ : एसो पंच णमोक्कारो पर नौ ग्रहों का ज्ञान कर लेते हैं। ललाट-विशेषज्ञ ललाट पर खिंचने वाली रेखाओं के आधार पर और योग के आचार्य चैतन्य केन्द्रों के आधार पर नौ ग्रहों का ज्ञान कर लेते हैं। नौ ग्रह हमारे शरीर में हैं। तैजसकेन्द्र सूर्य का स्थान है | विशुद्धिकेन्द्र चन्द्रमा का स्थान है। ज्योतिषी चन्द्रमा के माध्यम से व्यक्ति के मन की स्थिति को पढ़ता है। चन्द्रमा और मन का संबंध है। जैसी स्थिति चन्द्रमा की होती है वैसी स्थिति मन की होती है। मन का स्थान चन्द्रमा का स्थान है। ‘णमो आयरियाणं' का ध्यान विशुद्धिकेन्द्र पर पीले रंग के साथ किया जाता है। यह चैतन्यकेन्द्र हमारी भावनाओं का नियामक है, हमारे मन का नियामक है। तैजसकेन्द्र वृत्तियों को उभारता है और विशुद्धिकेन्द्र उन पर नियंत्रण करता है। शरीरशास्त्री मानते हैं कि थाइराइड ग्लैण्ड वृत्तियों पर नियंत्रण करने वाली ग्रन्थि है। इससे आवेग भी नियंत्रित होते हैं। इस ग्रन्थि का स्थान है कंठ। रंग के साथ इस केन्द्र पर 'आचार्य' का ध्यान करने पर हमारी वृत्तियां शांत होती हैं, वे पवित्रता की दिशा में सक्रिय बनती हैं। विशुद्धिकेन्द्र पवित्रता की संवृद्धि करने वाला केन्द्र है। यहां मन पवित्र होता है, निर्मल होता है। ___णमो उवज्झायाणं'--यह मंत्रपद है। इसका रंग है नीला। इसका स्थान है आनन्दकेन्द्र। नीला रंग शांति देने वाला होता है। यह रंग समाधि, एकाग्रता पैदा करता है और कषायों को शांत करता है। नीला रंग आत्म-साक्षात्कार में सहायक होता है। ___ 'णमो लोए सव्वसाहूणं'- यह मंत्र-पद है। इसका रंग है-काला। इसका स्थान है शक्तिकेन्द्र। शक्तिकेन्द्र या पैरों के स्थान पर काले वर्ण के साथ इस मंत्र-पद की आराधना की जाती है। काला वर्ण अवशोषक होता है। काला छाता क्यों रखते हैं ? सर्दी में काले-नीले रंग के कपड़े क्यों पहने जाते हैं ? न्यायालयों में वकील और न्यायाधीश काला कोट क्यों पहनते हैं ? यह सब इसलिए कि काला रंग अवशोषक होता है। वह बाहर के प्रभाव को भीतर नहीं जाने देता। काला वर्ण बहुत महत्त्वपूर्ण वर्ण है। नमस्कार महामंत्र के पांच पदों के साथ पांच वर्णों का चुनाव बहुत महत्त्वपूर्ण है, गूढ़ है, रहस्यमय है। मैंने केवल दिशा-संकेत मात्र किया है। यह इसलिए किया है कि हमारा यह संसार पौद्गलिक है—वर्णमय, गंधमय, रसमय और स्पर्शमय है। हम वर्ण, गंध, रस और स्पर्श का आलंबन लें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003073
Book TitleEso Panch Namukkaoro
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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