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समयसार : निश्चय और व्यवहार की यात्रा
स्थूल सत्य। स्थूल सत्य को पकड़ने वाली दृष्टि व्यवहार नय है और सूक्ष्म सत्य को पकड़ने वाली दृष्टि निश्चय नय है ।
नीम और गुड़ का संदर्भ
किसी से पूछा जाए, गुड़ कैसा होता है? नीम का पत्ता कैसा होता है ? उत्तर मिलेगा - गुड़ मीठा होता है और नीम का पत्ता कड़वा होता है। क्या नीम कड़वा ही है? क्या गुड़ मीठा ही है ? स्थूल सत्य है - गुड़ मीठा है और नीम का पत्ता कड़वा है किन्तु सूक्ष्म सत्य है - गुड़ कड़वा भी है और नीम का पत्ता मीठा भी है। जितने रस हैं, खट्टा मीठा, कड़वा, तीखा और कसैला - ये सब गुड़ में हैं और नीम में भी हैं। मिट्टी में से चीनी निकाली जाती है। तारकोल का जो द्रव्य है, उसमें से चीनी निकाली जाती है। कहा जाता है कि आदिम युग में हमारी मिट्टी में इतना मिठास था, जो आज की चीनी से हजारों-हजारों गुना ज्यादा था । मिट्टी में मिठास भी है, कडुआहट भी है।
स्थूल दृष्टि : सूक्ष्म दृष्टि
स्थूल दृष्टि वाला व्यक्ति केवल व्यक्त पर्याय को पकड़ता है। जो व्यक्त हो गया, प्रगट हो गया, वही हमारे सामने आता है। आंख उसी को देखती है, जो व्यक्त है, प्रगट है। अव्यक्त को हमारी आंख पकड़ नहीं पाती । कौए का काला रंग व्यक्त है किन्तु पीला, नीला, लाल और सफेद-ये सारे रंग अवयक्त हैं । स्थूल दृष्टि अव्यक्त को नहीं पकड़ती । जो व्यक्त होता है, उसी को पकड़ती है । जब सूक्ष्म दृष्टि, प्रज्ञा जागती है, अतीन्द्रिय चेतना जागती है तब वह अव्यक्त को भी पकड़ सकती है। जो भीतर में छिपा हुआ है, उसको भी पकड़ लेती है। स्थूल सत्य व्यक्त सत्य है। सूक्ष्म सत्य अव्यक्त सत्य है ।
प्रश्न क्षमता का
हमारे ज्ञान की क्षमता सीमित है। हमारी दृष्टि एकांशग्राही है। हम एक अंश को ग्रहण कर पाते हैं, समग्र को ग्रहण नहीं कर पाते हैं। कल्पना करें - एक संतरा है। व्यक्ति ने देखा - संतरा पड़ा है। आंखों ने देखा - संतरा है। प्रश्न हुआ - आंख ने किस बात को पकड़ा ? आंख ने उसका रंग, रूप, आकार देखा और बता दिया यह संतरा है। पर वह खट्टा है या मीठा ? आंख से इसका पता नहीं चल सकता। जीभ ने यह काम कर दिया। आंख और जीभ दोनों का योग मिला, हमें पता लग गया - यह संतरा है, खट्टा है या मीठा है। अंधेरे में किसी ने संतरा रख
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