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________________ बंधन आखिर बंधन है 33 कभी शोक पैदा करने वाला विचार पैदा हो जाता है। विचारों का एक चक्र है। आदमी का विचार बदलता ही चला जाता है। यदि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक आने वाले विचारों का संकलन किया जाए तो संभवतः एक पुस्तक एक दिन में भर जाए। ये विचार या तो पाप के होते हैं, बुरे होते हैं या पुण्य के होते हैं, अच्छे होते हैं। व्यक्ति पुण्य और पाप के विचारों- विकल्पों से घिरा हुआ है। इसी विकल्प चेतना ने मनुष्य के विवेक को भी आहत किया है। एक बार एक राजा टहलने निकला। बाहर जाने से पहले उसने मंत्री से पूछा- बीच में बरसात तो नहीं आयेगी ? मंत्री ने कहा- महाराज ! बरसात के तो कोई लक्षण नहीं दिखते। यह सुनकर राजा अपने साथ छाता वगैरह कुछ न लेकर टहलने निकल गया। मार्गवर्ती एक खेत में एक बूढ़ा किसान पेड़ तले बैठा था, राजा ने उससे पूछा - 'क्या तुम्हें लगता है कि आज पानी बरसेगा ?' किसान ने कहा- 'निश्चय ही मुझे लग रहा है कि कोई आध घन्टे के अन्दर ही पानी बरसेगा ?' राजा आगे बढ़ गया। आधा घंटा बीतते न बीतते पानी बरसने लगा। राजा के पास बचने का कोई साधन नहीं था । वह भींगता - भींगता वापस आया। राजा ने मंत्री से कहा- आप मंत्री पद के तनिक लायक नहीं । आप इतना भी नहीं बता सकते कि पानी बरसेगा या नहीं, तो फिर राज्य की इतनी बड़ी जिम्मेवारी कैसे संभाल पायेंगे? आप से ज्यादा बुद्धिमान् तो वह किसान है। उसने मुझे बरसात की ठीक जानकारी दी। मैं आपकी जगह उसको मंत्री नियुक्त करता हूं।' राजा ने किसान को बुलाकर कहा - 'तुमने मुझे पानी बरसने की ठीक जानकारी दी। तुम समय को परख सकते हो। इसलिए मैं तुम्हें मंत्री बनाता हूं। किसान ने कहा- 'महाराज, मुझको तो पानी बरसने का अंदाज अपने गधे के कारण मिला। जब पानी बरसने को होता है, गधा अपना कान झुका लेता है। मैंने गधे को देखकर ही पानी बरसने की बात बताई थी । ' किसान की बात सुनकर राजा ने कहा- 'तब तो तुम्हारा गधा मंत्री द के लिए अधिक योग्य है। मैं उसी को अपना मंत्री बनाता हूं।' जो व्यक्ति विकल्प में उलझता चला जाता है, उसके सामने गधे को मंत्री बनाने का प्रसंग भी प्रस्तुत हो जाता है। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003072
Book TitleSamaysara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size6 MB
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