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________________ 140 समयसार : निश्चय और व्यवहार की यात्रा आयुष्य के आधार पर जीता है। आप दूसरों को जिलाते हैं, इसका अर्थ है आप अपना आयुष्य उसे देते हैं। यदि आदमी अपना कर्म दूसरे को देने लग जाए या अपना कर्म दसरे को दिया जा सके तो उसका अपना कछ भी नहीं रह पाए। कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति को अपना आयु-कर्म नहीं देता। व्यक्ति अपने आयुष्य कर्म के उदय से जीता है इसलिए दूसरे उसे जिलाते हैं या वह दूसरों को जिलाता है, यह बात कैसे सम्भव हो सकती है? आऊदयेण जीवदि . जीवो, एवं भणति सव्वण्हू । आउं च णं देसि तुम कहं तए जीविदं कदं तेसिं ।। आऊदयेण जीवदि जीवो, एवं भणति सव्वण्ह । आउं च ण दिति तुहं, कहं ण ते जीविदं कदं तेहिं ।। जीवन का हेतु रुपये-पैसे का विनिमय हो सकता है, वस्त्रों का विनिमय हो सकता है पर क्या कर्म का भी विनिमय हो सकता है? यदि हम किसी को अपना आयुष्य दें तो कह सकते हैं-हमने अमुक व्यक्ति को जिलाया है। सचाई यह है कि प्रत्येक आदमी अपने आयुष्य के बल पर जीता है, वह दूसरों के आयष्य के आधार पर कभी नहीं जीता। यह है आध्यात्मिक दष्टिकोण। जब यह सचाई समझ में आती है, हमारा जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदल जाता है। आचार्य कुन्दकुन्द ने लिखा-जो यह मानता है-मैं दूसरों को जिलाता हूं या दूसरे मुझे जिलाते हैं, मैं दूसरों को मारता हं या दसरे मझे मारते हैं, वह मढ़ और अज्ञानी है। जो व्यक्ति यह मानता है-मैं अपनी आयु के बल पर जीता हूं, वह सम्यग्दर्शी और ज्ञानी है। जो मण्णदि हिंसयामि य हिंसिज्जामि य परेहिं । से मूढ़ो अण्णाणी णाणी एत्तो दु विवरीदो ।। जो मण्णदि जीवेमि य, जिविज्जामि य परेहिं सत्तेहिं । सो मूढ़ो अण्णाणी णाणी एत्तो दु विवरीदो ।। व्यक्ति स्वयं उत्तरदायी है यह सामान्य आदमी की समझ से परे की बात है किन्तु जब हम आध्यात्मिक निष्कर्षों पर पहुंचते हैं तब लौकिक दृष्टिकोण से बिलकुल भिन्न बात होती है। आध्यात्मिक दष्टिकोण है-आदमी अपना कर्म करता है, अपने कर्म को भोगता है। दूसरा कोई व्यक्ति उसमें हाथ नहीं बंटाता-'अत्तकड़े दुःखे' दुःख आत्मकृत है, वह परकृत और उभयकृत For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003072
Book TitleSamaysara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size6 MB
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