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________________ सामंजस्य कैसे बढ़ाएं पारिवारिक जीवन का एक महत्त्वपूर्ण सूत्र है सामंजस्य। सामंजस्य के बिना साथ में रहा भी नहीं जा सकता और साथ में रहने का कोई विशेष अर्थ भी नहीं रह जाता। सामंजस्य नहीं होता है तो नया चूल्हा भी जलाना पड़ता है, घर में दीवारें भी खींचनी पड़ जाती हैं। यह सब परस्परता के अभाव में होता है। सामंजस्य : बाधा सामंजस्य का बहुत बड़ा विघ्न है-आग्रह चेतना। व्यक्ति जिस बात को पकड़ लेता है, उसे छोड़ना नहीं चाहता। नासमझी और आग्रहदोनों साथ-साथ चलते हैं। आग्रह का मतलब है बचकानापन। एक बालक में जिद्द ज्यादा होती है। बालहठ और त्रियाहठ प्रसिद्ध हैं। बालक को यह पता नहीं होता इस बात में लाभ होगा या हानि। किन्त वह जिस बात को पकड़ लेता है, उसे दृढ़ता से पकड़ लेता है, छोड़ता नहीं। यह आग्रह की वृत्ति सामंजस्य में बहुत बाधा डालती है। एक परिवार में दस-बीस लोग साथ रहते हैं। उनमें कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनमें पकड़ मजबूत होती है। वे अपनी बात की पकड़ को छोड़ना नहीं चाहते। इस आग्रही मनोवृत्ति से सामंजस्य में बाधा पैदा हो जाती है। बाधा है मिथ्या दृष्टिकोण __ साधना के क्षेत्र में सबसे पहली बाधा है-मिथ्या दृष्टिकोण। उसके दो प्रकार होते हैं-आभिग्रहिक और अनाभिग्रहिक। एक व्यक्ति यह जानता है कि यह बात सही नहीं है पर वह आग्रहपूर्वक उस बात को पकड़ लेता है, उसे छोड़ता नहीं है। यह आभिग्रहिकी मनोवृत्ति है। एक पकड़ होती है अज्ञान के कारण। एक व्यक्ति यह नहीं जानता कि ऐसा करना अच्छा नहीं है इसलिए वह करता चला जाता है। यह अज्ञानजनित आग्रह है, अनाभिग्रहिकी मनोवृत्ति हैं। बहत लोगों को यह पता नहीं होता-चीनी खाने से क्या नुकसान होता है इसलिए वे चीनी खाते चले जाते हैं। ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें चीनी खाने के परिणामों का ज्ञान है फिर भी वे चीनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003072
Book TitleSamaysara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size6 MB
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