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५८ / मुक्त भोग की समस्या और ब्रह्मचर्य
विच्छेदन के बिना, पूरा युद्ध लड़ा नहीं जा सकता। संचित वृत्तियों के विच्छेदन के लिए हमें उपाय करना होगा । उसका उपाय है, वृत्ति को देखना और प्रतिपक्ष की भावना के द्वारा उसका विलयन करना। प्रेक्षा के साथ अनुप्रेक्षा का प्रयोग भी महत्त्वपूर्ण है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। अनुप्रेक्षा के प्रयोग के बिना वृत्तियों का विलयन नहीं होता, यह अनुभव की बात है। मैंने अनुभव किया है कि द्रष्टाभाव से स्वभाव को बदलना कठिन मार्ग है। यह दीर्घकालीन उपक्रम है । यह लम्बा मार्ग है । इस पर हरेक व्यक्ति का चल पाना कठिन है, संभव भी नहीं है । सीधा मार्ग होता है तो उस पर हर कोई चल सकता है पर दुर्गम मार्ग पर अकेला व्यक्ति चल नहीं पाता । उसे सहयोगी की अपेक्षा होती है । अनुप्रेक्षा उस अवस्था में पूर्ण सहयोग करती है और व्यक्ति में नई स्फूर्ति का संचार करती है । तब व्यक्ति सहजरूप से वृत्ति को बदलने में कामयाब हो जाता है। . निरोध और शोधन ____ संवर और निर्जरा- निरोध और शोधन की ये दो प्रणालियां है। केवल निरोध या केवल शोधन पर्याप्त नहीं है। शोधन के साथ-साथ यदि भविष्य में न करने का संकल्प नहीं होता, निरोध नहीं होता, संवर नहीं होता, तो फिर शोधन का अर्थ न्यून हो जाता है।
प्रत्येक शोधन के साथ निरोध और निरोध के साध शोधन होना चाहिए। प्रेक्षा निरोध की प्रणाली है और अनुप्रेक्षा शोधन की प्रणाली है। इन दोनों के सहारे ही व्यक्ति कामवृत्ति के युद्ध में विजयी बन सकता है।
अनेक लोग अपनी शक्ति का उपयोग नहीं करते और दसरे की शक्ति पर अधिक निर्भर रहते हैं । वृत्तियों के परिष्कार में स्वशक्ति पर निर्भर होना आवश्यक है। काम की वृत्ति संकल्प से पैदा होती है। मन में संकल्प उठता है और कामवृत्ति उत्पन्न हो जाती है। जब तक व्यक्ति का दृष्टिकोण आध्यात्मिक नहीं बनेगा, तब तक इस पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकेगा। यह आध्यात्मिक नियंत्रण आवश्यक है। यह इसलिए कि इन तीन-चार दशकों में मुक्तभोग, मुक्त यौनाचार, समलैंगिक व्यभिचार आदि काम-सेवन की विधियों ने समूचे विश्व को आक्रान्त कर रखा है। सारा विश्व आतंक से भरा है । “एड्स' की भयावह बीमारी इसी का परिणाम है। यह केन्सर से भी अत्यधिक भयंकर बीमारी है। कामवृत्ति की उच्छंखलता के इस परिणाम में सारे संसार को भयग्रस्त कर डाला । आज अणुबम का जितना आतंक है उससे कम आतंक नहीं है “एड्स' की बीमारी का। सारे राष्ट्र इस बीमारी की
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