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१४८ । मुक्त भोग की समस्या और ब्रह्मचर्य व्यक्ति मर्यादा का उल्लंघन कर भोग भोगे। पश्चिमी समाज ने मनोविज्ञान के सूत्र का यह अर्थ निकाला कि मनुष्य अमर्यादित भोग भोगे। आज वह समाज कामग्नि में झुलस रहा है । उच्छंखलता से वह पीड़ित है। उसका समाधान पाने के लिए वे अध्यात्म की शरण में जा रहे हैं । वे अध्यात्म की खोज कर रहे हैं। इसके लिए वे भारत आ रहे हैं। यदि यहां के भगवान् उनके समक्ष वही भोग भोगने का मार्ग रखते हैं तो वे बेचारे कितने हताश होते हैं। कैसी विडंबना ! यदि यहां के योगआश्रमों में भोग का, आमोद-प्रमोद का वातावरण ही बना रहेगा और संभोग से समाधि पर बल दिया जाता रहेगा तो भारतीय प्रणाली पर यह एक अमिट कलंक बन जाएगा।
प्रत्येक व्यक्ति में काम, भय, लोभ आदि वृत्तियां होती हैं, संज्ञाएं होती हैं । युवावस्था में ये वृत्तियां उभरती हैं। यदि भोग के आचार्य इन वृत्तियों को भोगने की बात कहते हैं तो उन वृत्तियों को उग्र होने का सहारा मिल जाता है और युवावर्ग को मार्ग-च्युत होने में सहयोग प्राप्त हो जाता है । मार्क्स ने कहा था, 'साम्यवाद पर विश्वास रखने से समूचा राष्ट्र एक परिवार बन जाएगा। कोई पति नहीं, कोई पत्नी नहीं, कोई पुत्र नहीं।' मार्क्स की यह भविष्यवाणी अत्यन्त असत्य सिद्ध हुई है। कई देशों में साम्यवाद की स्थापना हुई, किन्तु आज भी वहां वंश-परम्परा है । पिता है, पुत्र है, पति है, पत्नी है। पारिवारिक व्यवस्था है। मार्क्स की बात असत्य सिद्ध हुई किन्तु आज के भगवान् भारत की पवित्र भूमि पर असत्य को सिद्ध करने में जुटे हुए हैं। वे कहते हैं, 'भिन्न-भिन्न कुटुम्बों की कोई आवश्यकता नहीं है।' इसी चिन्तन से 'संभोग से समाधि' का जन्म हुआ। उच्छंखल यौनाचार को प्रस्थापित करने का उन भगवानों ने प्रयत्न किया। उनका यह प्रयत्न प्राचीन वाम-मार्ग को भी भुला देता है। ____ मैंने जिस समस्या की ओर अंगुलि-निर्देश दिया है, वह मेरे अकेले की समस्या नहीं है, सबकी समस्या है। अध्यात्म में विश्वास रखने वाले सभी लोग आज की इस यौनाचार की स्थिति से चिंतित हैं । वे चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर अध्यात्म की शुद्धता और पवित्रता को बनाए रखना है।
ध्यान अमूल्य निधि है। इससे ही रूपान्तरण हो सकता है । 'काम' का दमन नहीं, उसका उदात्तीकरण होना चाहिए। ध्यान से यह प्रक्रिया हो सकती है। काम के सेवन से काम मिटता नहीं, उभरता है। इसके रूपान्तरण से प्राप्त होने वाली ऊर्जा से असामान्य कार्य सिद्ध किये जा सकते हैं।
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