SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इन्द्रिय विजय का सूत्र खेती अंगूरों की और बाड़ कांटों की। यह दृश्य एक युवा श्रेष्ठी को बहुत अटपटा लगा। एक ओर अंगूर की बेलों को देखकर उसने सोचा---कितना मनोरम दृश्य है। दूसरी ओर कांटों की बाड़ को देखकर सोचा-ये कांटें इसकी मनोरमता का विनाश कर रहे हैं। युवा श्रेष्ठी ने अपने कर्मकरों से कहा-यह क्या? एक ओर इतने कोमल, मधुर और सुगंध से भरपुर अंगूरों के गुच्छे लटक रहे हैं तो दूसरी ओर कांटे ही कांटें है। यह अच्छा नहीं लगता। तुम इस कांटों की बाड़ को हटाओ। कर्मकर बोले-मालिक ! आप नए नए आए हैं। आपको इसका अनुभव नहीं है। यदि कांटे नहीं रहेंगे तो अंगूर भी नहीं रहेंगे। श्रेष्ठी ने कहा- 'अंगूरों के आस पास यह कांटो की बाड़ बहुत खराब लगती है। इससे उद्यान की रमणीयता नष्ट हो रही है । तुम इसे हटाओ।' कर्मकर क्या करते, उन्होंने बाड़ को हटा दिया । बाड़ हटी और दो चार दिन में अंगूर भी हट गए। बाग खुला पड़ा था। जो भी आया, अंगूर तोड़कर चलता बना । बाग उजड़ गया। एक व्यक्ति ने अंगूरों का बाग लगाया और सारा ध्यान सुरक्षा पर केन्द्रित कर दिया। उसने सोचा--दीवार इतनी मजबूत बननी चाहिए कि उसमें कोई भी प्रवेश न कर सके। उसने बहुत ऊंची और सुदृढ़ दीवार बनवा दी किन्तु अंगूरों की सिंचाई पर बिल्कुल व्यान नहीं दिया। उद्यान सुरक्षित हो गया, उसके भीतर न कोई मनुष्य घुस सका और न कोई पशु । पर पर्याप्त सिंचाई के अभाव में अंगूर लगे ही नहीं। ये दोनों घटनाएं सामने हैं । इसका निष्कर्ष है-मूल पर ध्यान और बाड़ पर ध्यान-दोनों एकांगी दृष्टिकोण हैं। केवल सिंचाई पर केन्द्रित दृष्टिकोण भी अधूरा है और केवल बाहरी सुरक्षा पर केन्द्रित दृष्टिकोण भी अधूरा है । परिपूर्ण दृष्टिकोण यह है----भीतर की सिंचाई चले और बाह्य बाड़ भी मजबूत रहे । ये दोनों बातें होती हैं तब निष्पत्ति प्राप्त होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003071
Book TitleMukta Bhog ki Samasya aur Bramhacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages164
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy