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१२२ । मुक्त भोग की समस्या और ब्रह्मचर्य नहीं होता । परिणामभद्र वह होता है, जो पहले ज्यादा अच्छा नहीं लगता किन्तु उसका परिणाम बहुत सुखद होता है । हम इस सचाई को एक सामान्य घटना से समझें । एक छोटा बच्चा अपनी मां के साथ दर्शन करने आया । बच्चे के हाथ में एक रुपए का नोट था। मैंने पूछा—इसका क्या करोगे?
बच्चा बोला-चुटकी खरीदूंगा, मीठी सुपारी खरीदूंगा। 'क्यों खरीदोगे?' 'मुझे वह बहुत अच्छी लगती है।' मैंने उसकी मां से पूछा-'क्या तुम उसे चुटकी, गुटका आदि खिलती हो ।
मां बोली-'महाराज ! हम घर पर इसे कभी नहीं खिलाते । आज किसी लड़के के पास थी। उसने इसे दे दी । अब यह उस चुटकी की जिद्द पकड़े हुए है।'
आज स्थिति यह है कोई बच्चा चुटकी खाने लग जाता है, कोई जर्दा, पान-पराग और पान-मसाला खाने लग जाता है । चॉकलेट और टॉफियां कितनी खाता है, इसकी कोई गिनती नहीं है । ये सब चीजें खाने में अच्छी लगती हैं, पर इनका परिणाम क्या है? जो मां अपने बच्चों को ऐसी आदतों से नहीं बचाती, क्या वह अपने बच्चे का नुकसान नहीं करती ? जो बच्चा इन चीजों को ज्यादा खाएगा उसका पाचन-तंत्र और लीवर खराब हो जाएगा, दांत खराब हो जाएंगे। आंत खराब होने का अर्थ है अनेक बीमारियों को निमंत्रण । आंत की खराबी बीमारी की जड़ है । पंद्रह बीस वर्ष की उम्र में ही अनेक बच्चों के दांत खराब हो जाते हैं, उन्हें निकलवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता । हम सोचें-दांत किसने खराब किए? आंतें किसने खराब की ? यदि माता-पिता प्रारंभ से ध्यान रखते, बच्चों को टोफियां, चुटकी आदि छुड़ाते, उनमें त्याग के संस्कार भरते तो शायद यह स्थिति नहीं बनती। मां की नाक ___इंग्लैण्ड में एक व्यक्ति को फांसी की सजा हो गई। अपराध था चोरी का। यह एक सामान्य नियम है—फांसी देने से पूर्व चोर की अंतिम इच्छा पूरी की जाती है। चोर ने कहा—मैं अपनी मां से मिलना चाहता हूं। मां को बुलाया गया। चोर मां की ओर झुका और उसकी नाक को चबा डाला। मां चीख उठी। लोगों ने बेटे के चंगुल से मां को छुड़ाया। चोर को डांटते हुए लोग बोले—मूर्ख ! क्या किया? कम से कम मां के साथ तो ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। चोर ने कहामहाशय ! आप नहीं जानते । यह फांसी आप नहीं दे रहे हैं, मेरी मां के कारण मिल
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