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आमंत्रण आरोग्य को
का बदलाव नैतिकता का मुखौटा बन सकता है, नैतिकता नहीं ।
कारण : धर्म की आस्था
राजनीति के पास निमित्त को बदलने की क्षमता हो सकती है । कारण को बदलने की शक्ति उसके पास नहीं है । उसका उपाय है धर्म की आस्था । जापान में आर्थिक संपन्नता बहुत बढ़ी फिर भी कुछ दशकों में चार प्रधानमंत्रियों को त्यागपत्र देना पड़ा । अमेरिका संपन्नता के शिखर पर है पर नैतिकता के शिखर पर नहीं है । गरीबी को अनैतिकता का एक मुख्य निमित्त माना जाता है । जहां गरीबी नहीं है, वहां भी अनैतिकता अपना जाल बिछाए बैठी है । घटनाओं और स्थितियों के अध्ययन से साफ होता है-केवल परिस्थिति बदलने का प्रयत्न बहुत सफल नहीं हो सकता । परिस्थिति के साथ-साथ मनःस्थिति बदले तभी सफलता की बात सोची जा सकती है |
महान् आश्चर्य
धर्म उपाय है मनःस्थिति को बदलने का । राज्यशक्ति या दंडशक्ति के द्वारा उसे बदला नहीं जा सकता । समस्या कुछ उलझी हुई है । धर्म के प्रति आकर्षण कम है । राजनीति के परिपार्श्व में सत्ता है इसलिए उसके प्रति अधिक आकर्षण है । राजनीति और धर्म का संतुलन होता तो अनैतिकता की होली खुलकर नहीं खेली जाती । गीता के कृष्ण ने अर्जुन का मोह भंग किया था। आज का प्रबुद्ध व्यक्ति आस्था भंग कर रहा है | केवल नैतिकता का ही अभाव नहीं है, उसके प्रति आस्था का भी अभाव है। आदमी मान बैठा है--- नैतिकता
और वैज्ञानिक युग की सुख-सुविधाएं एक साथ नहीं हो सकतीं । सुख-सुविधा को भोगना है तो नैतिकता के हिमालय से नीचे उतरना होगा । यदि नैतिकता के प्रति आस्था होती तो राजनीति नैतिकता-विहीन नहीं होती और धर्म भी नैतिकता शून्य नहीं होता | राजनीति का आदमी नैतिकता को नकारता है वह आश्चर्य तो है पर विश्व का महान आश्चर्य नहीं । धर्म का आदमी नैतिकता को नकार रहा है, यह विश्व का महान् आश्चर्य है । एक आदमी धार्मिक है पर नैतिक नहीं है । क्या यह दिन में रात होने की घटना नहीं है ? दुनिया में कभी-कभी अघटित घटित होता है । यह भी वैसी ही घटना है ।
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