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१८ आमंत्रण आरोग्य को मानव उपकरण के लिए नहीं है
अमेरिका, आस्ट्रेलिया, पश्चिमी जर्मनी, स्वीडन, मैक्सिको, स्पेन, ब्राजील, अर्जेन्टीना, चीन आदि ने अपना अणु-भट्टी निर्माण का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है । अणु-धूलि और अणु-विकिरण मनुष्य जाति के सामने एक त्रासदी बना है | अणु का ज्ञान पहले भी था किन्तु उसके उपयोग की बात मनुष्य ने नहीं सोची । उसके दुष्परिणाम प्रत्यक्ष थे । वर्तमान में पहले अणु-भट्टियों का विस्तार किया गया । अब दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं तब उनके प्रति अरुचि प्रदर्शित की गई है । चेर्नोबिल की दुर्घटना के बाद सोच का तरीका बदला है । अणु-भट्टी का प्रभाव हजारों किलोमीटर की दूरी तक पहुंच जाता है । उससे प्रभावित भूमि विकास योग्य नहीं रहती । मनुष्य अनेक बीमारियों का शिकार बन जाता है । बताया गया है- चेर्नोबिल के किरणोत्सर्ग से पांच लाख लोग कैंसर के शिकार होंगे । और भी क्या-क्या होगा, उनका लेखा-जोखा अभी शेष है ।
उपकरण मानव के लिए है, मानव उनके लिए नहीं है | जो उपकरणमानव जाति के विनाश में व्याप्त हो रहे हैं, उनके निर्माण का मोह भंग नहीं हो रहा है । क्या यह कम आश्चर्य की बात है ? पदार्थ का अनसोचा-अनसमझा विकास खतरों से भरा हुआ है । कुछ छोटे खतरे हैं और कुछ बड़े खतरे हैं। कुछ तात्कालिक खतरे हैं और कुछ धीमे-धीमे बढ़ने वाले खतरे हैं। ये खतरे वैज्ञानिक खोज के साथ-साथ बढ़ रहे हैं।
मूल्यवान् चिन्तन __ आज का समाज इन्द्रिय प्रधान है । उसमें इन्द्रियों की तृप्ति की प्रबल आकांक्षा है । व्यवसाय से जुड़े हुए वैज्ञानिक इस सामाजिक दुर्बलता का लाभ उठा रहे हैं | एक सामाजिक व्यक्ति इन्द्रिय तृप्ति से विमुख हो जाएगा, यह नहीं सोचा जा सकता । इन्द्रिय तृप्ति की सीमा के बारे में सोचा जा सकता है । भारतीय धर्मों में व्रत का चिन्तन बहुत मूल्यवान् रहा है । उसके द्वारा इन्द्रिय तृप्ति पर एक अंकुश लगाया जाता था | विज्ञानोन्मुख समाज लगभग व्रत-विमुख बन चुका है । व्रतजनित नियंत्रण के अभाव में सुखवाद या सुविधावाद को फैलने का अवसर मिला है । आज का आदमी इन्द्रियों को अधिक-से-अधिक
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