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________________ ५. समस्या बन रहा है वैज्ञानिक अनुसंधान वैज्ञानिक जगत् की अदूरदर्शिता रहस्य का जगत् बहुत बड़ा है। उसकी खोज अतीत में हुई है और वर्तमान में भी हो रही है । अतीत में खोज का क्षेत्र सीमित था । वर्तमान में उसका क्षेत्र बहुत बड़ा बन गया है । अतीत में रहस्य के ज्ञान और उसकी खोज के साथ पात्रता का अनुबन्ध कर दिया गया । वर्तमान में पात्र-अपात्र का कोई भेद नहीं है । पात्र की कसौटी थी— जो रहस्य ज्ञान को पचा सके, मानव जाति के अहित में उसका उपयोग न करे, हित में उपयोग करने का भी विवेक हो, उसे व्यवसाय न बनाए, उसके परिणाम के प्रति सतर्क रहे । वर्तमान में पात्र की ये सारी कसौटियां मान्य नहीं है । बहुत सारे वैज्ञानिक अनुसंधान व्यावसायिक बने हुए हैं । शस्त्र-निर्माण अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में एक बहुत बड़ा व्यवसाय है । शस्त्र-निर्माण की नई-नई तकनीकें विकसित हो रही हैं । उनका उपयोग व्यावसायिक दृष्टि से किया जा रहा है । वैज्ञानिकों में एक होड़-सी लगी हुई है । कौन कितना भयंकर शस्त्र बनाए ? सुविधा के उपकरणों की भी प्रतिस्पर्धा चल रही है । एक चीज का आविष्कार होता है । उसे व्यापकता मिलती है । कुछ समय बाद उसके बुरे परिणामों की चेतावनी सामने आ जाती है । विद्युत के लिए अणु-भट्टियों के निर्माण का सिलसिला चला, उसकी बहुत गाथाएं गाई गईं । अनेक राष्ट्रों में अणु-भट्टियों के निर्माण की होड़ सी लग गई । अब चिन्तन की धारा बदल रही है । उनके निर्माण को खतरनाक बताया जा रहा है । उनके निर्माण पर पुनर्विचार की बात कही जा रही है । क्या यह वैज्ञानिक जगत् की अदूरदर्शिता नहीं है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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