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________________ १५० आमंत्रण आरोग्य को छूट जाता है । डॉक्टर ने भी शिविर में भाग लिया और शराब पीने की आदत से मुक्त हो गया । अभ्यास करना सीखें प्रेक्षाध्यान एक उपाय है मानस-दोषों को मिटाने का । मनोबल को सुरक्षित रखा जा सकता है । उसकी हानि के कारणों को निरस्त किया जा सकता है। अपेक्षा है- अभ्यास की । कोई चमत्कार या जादू का डण्डा नहीं कि घुमाया और ठीक हो गया । अपना अभ्यास और अपना श्रम । यदि इस क्रम से चलें तो इन मानस-दोषों से बचा जा सकता है, मनोबल को कम करने वाली शक्तियों से बचा जा सकता है । जिसका मनोबल सुरक्षित है, उसका मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षित है । जिसका मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षित है, सही अर्थ में उसने जीवन का अर्थ समझा है । सुखपूर्ण, शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए मनोबल के विकास की जरूरत है । उसके साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य की जरूरत है । जिस व्यक्ति को मनोबल और मानसिक सवास्थ्य- ये दो संपदाएं मिल जाती हैं, उसके लिए और सारी संपदाएं गौण बन जाती हैं । हम उपाय खोजें, अभ्यास को बढ़ाएं । इससे शरीर का भी भला होगा और मन का भी भला होगा, शांतिपूर्ण जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त होगा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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