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________________ अहिंसा की आस्था १०१ गया । सारे कंबल वहीं छोड़ कर चले गए । ये बातें कहानी जैसी लगती है | आज हमारी समझ में नहीं आतीं कि ऐसा भी हो सकता है क्या ? आज के चिंतन में ये बातें फिट नहीं बैठती । कोई फ्रेम बनाना होगा, जिसे विचारों की खिड़की से फिट किया जा सके । प्रश्न है अहिंसा की आस्था का __ आज सांस्कृतिक मूल्यों का अन्तर आ गया और वह आया है हमारे ही दृष्टिकोण के कारण | इन सारी घटनाओं के संदर्भ में हम फिर विचार करें कि यदि सुख और शांति से जीना है तो अहिंसा की आस्था पैदा करनी होगी। अहिंसा की आस्था पैदा करनी है तो सुविधावादी व पदार्थवादी दृष्टिकोण को वदलना होगा । पदार्थ का भोग करते हुए भी, सुविधा का भोग करते हुए भी दृष्टिकोण सुविधावादी और पदार्थवादी न रहे । इस ‘संकरी गली' में से हमें गुजरना होगा । यह बहुत संकरी गली है पर इसमें से गुजरे बिना हम सामाजिक मूल्यों के विकास की बात या शांतिपूर्ण जीवन जीने की बात सोच ही नहीं सकते। इसलिए हमें कष्ट सहिष्णुता या सहिष्णुता का विकास करना ही होगा। अहिंसा : स्व-नियंत्रण __ अहिंसा का मुख्य तत्त्व है- स्व-नियंत्रण, अपने आप पर नियंत्रण । अपने आवेशों पर नियंत्रण किए बिना अहिंसा की कल्पना ही नहीं की जा सकती। हमारे अनियन्त्रित आवेश ही हमारी वृत्तियों को हिंसक बना रहे हैं । जीवन विज्ञान का प्रयोग स्व-नियंत्रण का प्रयोग है, इसके द्वारा व्यक्ति अपने आवेगों पर नियंत्रण प्राप्त करने की कला सीख सकता है । स्व-नियंत्रण का लाभ है- अपने प्रति अहिंसक होना । मैं सोचता हूं कि हमें जागतिक अहिंसा- सार्वभौम अहिंसा की बात एक बार छोड़ देनी चाहिए | हमारा सीधा प्रयत्न विश्वशांति, विश्वबंधुता के लिए होता है । हमें पहले यह सोचना चाहिए कि अपने में शांति और अपने में बंधुता है या नहीं ? अपने भाई के साथ तो बंधुता का व्यवहार नहीं है और श्लोक दोहराया जाता है- 'उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकं ।' यह कितनी बड़ी विडम्बना हो जाती है । यह बात समझ में नहीं आती । हम इस बात में बहुत विश्वास करते हैं कि अपनी अहिंसा सबसे पहले होनी चाहिए । मैं दूसरे के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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