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आमंत्रण आरोग्य को
उसे प्राप्त हैं । एक व्यक्ति के मोटरकार है, रेडियो है, टेलीविजन है, सब कुछ है तो दूसरा व्यक्ति भी ललचाएगा । वह सोचेगा कि इसको इतनी सुविधा प्राप्त है तो मुझे क्यों नहीं होनी चाहिए । एक वह जमाना था कि यदि किसी बड़े आदमी को सुविधा प्राप्त होती तो वह यह सोचता- मैं तब तक उस सुविधा का भोग नहीं करूंगा जब तक यह सर्वसुलभ न बन जाए | जो बड़ा आदमी है, जिसे सब कुछ प्राप्त है । वह उसको त्यागेगा और संयम में रहेगा तो दूसरों के मन में एक निष्ठा पैदा होगी ।
संदर्भ महामात्य चाणक्य का
महामात्य चाणक्य का संदर्भ लें । मुद्राराक्षस ग्रंथ में चाणक्य का जो वर्णन किया गया है, वह हृदयवेधी और मार्मिक है
उपलशकलमेतद् भेदकं गोमयानां वटभिरुपहृतानां बर्हिषां स्तोम एषः । शरणमपि समिद्भिः, शुष्यमाणाभिराभि
रुपनतपटलानां दृश्यते जीर्णकुड्यम ।। चाणक्य कुटिया में रहता था । वहां कुछ उपले पड़े थे । कुछ पत्थर पड़े थे । कुछ चीजें पड़ी थीं । इतनी साधारण कुटिया, इतने साधारण उपकरण कि जिसके बारे में सोचा ही नहीं जा सकता | वह एक बड़े साम्राज्य का प्रधानमंत्री, सर्वेसर्वा, संचालक था । वह इतनी साधारण स्थिति में रह सकता है, कल्पना नहीं की जा सकती।
अकाल का मौसम | सर्दी आई। सर्दी में गरीबों की बुरी हालत थी । जनता के द्वारा कंबल इकट्ठे किए गए । कंबलों का ढेर लगा है कुटिया के पास और महामात्य चाणक्य अपनी कुटिया में सो रहा है । चोरों का मन कंबल चुराने के लिए ललचा गया । चोरों ने सोचा- चोरी का अच्छा अवसर है। अवसर को खोना भी समझदारी की बात नहीं है । कुछ चोर आए । उन्होंने कंबल उठा लिये। फिर उन्होंने भीतर देखा । जब आदमी भीतर देखता है तब मनःस्थिति बदल जाती है | भीतर कुटिया में देखा- महामात्य चाणक्य सो रहे हैं और एक पुराना कंबल ओढ़े हुए हैं। यह देख चोरों का दिल भी बदल गया । उन्होंने सोचा- इतने सारे कंबल पड़े हैं, फिर भी महामात्य मात्र एक पराना कंबल लपेटे सो रहे हैं और हम चोरी करके ले जा रहे हैं । दिल बदल
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