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________________ २९. अहिंसा की आस्था सुविधावादी दृष्टिकोण और हिंसा आज यह सुना जा रहा है कि हिंसा बहुत बढ़ रही है । कारण की खोज में जाएं और गहरे में उतरें तो पता चलेगा-सुविधावादी दृष्टिकोण के कारण हिंसा बढ़ रही है। बात तो बहुत दूर की-सी लगती है सुविधावाद और हिंसा का क्या सम्बन्ध है? किन्तु कभी-कभी बहुत दूर की बात बहुत निकट की बात हो जाती है । वस्तुतः सुविधावादी मनोवृत्ति और हिंसा-इन दोनों में गहरा सम्बन्ध है । जैसे-जैसे कष्ट सहने की हमारी क्षमता घटेगी, हमें हिंसा का सहारा लेना पड़ेगा। हम सहन नहीं कर पाते । आज का पूरा वातावण ऐसा है कि कोई किसी को सहन नहीं कर पाता, कोई किसी की बात को सहन नहीं करता । असहिष्णुता ने हिंसा को काफी आगे बढ़ाया है । शारीरिक असहिष्णुता और मानसिक असहिष्णुता, कष्ट को न सहना, मानसिक भावों को न सहना-ये दोनों हिंसा के बहुत बड़े निमित्त बनते हैं । एक व्यक्ति किसी घटना को सह नहीं सकता और वह आत्महत्या तक की स्थिति में चला जाता है । दूसरे के द्वारा थोड़ी-सी कोई अप्रिय स्थिति पैदा होती है व्यक्ति उसे सहन नहीं कर सकता, शारीरिक कष्टों को बिल्कुल सहन नहीं कर सकता । उस स्थिति में हम अहिंसा की कल्पना नहीं कर सकते । अहिंसा और कायरता अहिंसा एक शक्ति है, एक पराक्रम है, एक वीर्य है । भ्रमवश ऐसा मान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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