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१४० मैं : मेरा मन : मेरी शान्ति हो जाती है इसलिए इस ओर सजग रहने वाले लोग हर डेढ़-दो घंटे के बाद उठकर इधर-उधर घूम लेते हैं। बहुत बैठे रहना रोग का बहुत बड़ा कारण है, पर इसका यह मतलब भी नहीं कि दिन भर घूमते रहना या खड़े रहना स्वास्थ्य के लिए ठीक है। इससे भी अधिक शक्ति क्षीण होती है। वस्तुतः हर क्रिया में सन्तुलन होना बहुत आवश्यक है।
जो लोग आसन नहीं करते या घूमते नहीं वे लोग स्वास्थ्य के साथ बहुत अन्याय करते हैं। आसन या घूमने का अर्थ है-आंतों में हरकत पैदा करना। योग मुद्रा भी इसका अच्छा साधन है। वह किसी भी प्रकार से हो पर यदि वह नहीं होती है तो उससे शरीर में विकार पैदा हो जाते हैं। उससे रक्त गाढ़ा हो जाता है तथा गठिया आदि भयंकर व्याधियां मनुष्य को घेर लेती हैं।
सोना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद है। दीर्घ जीवन का यह स्वर्ण-सूत्र है। चर्चिल ने दीर्घ आयु प्राप्त की, इसका सबसे बड़ा रहस्य यही था। वे अधिकतर लेटे-लेटे ही दूसरों को डिक्टेशन आदि दिया करते थे। प्रश्न है, क्या लेटे-लेटे पढ़ना अच्छा है? नहीं, लेटे-लेटे पढ़ना आंखों के लिए बहुत खतरनाक है। लेटे रहने की अति भी अच्छी नहीं है। अच्छाई उचित मात्रा में है, क्रिया में नहीं।। . एक व्यक्ति ने मुझे बताया कि सोते समय ऊंचा उपदान रखने से रक्त-संचार में बाधा आती है; क्योंकि हमारे शरीर में सिर एक ऐसा भाग है जहां रक्त-संचार कम होता है; उस पर भी यदि ऊंचा तकिया दे दिया जाता है तो रक्त को वहां पहुंचने में और भी अधिक बाधा पहुंचती है। मुझे लगा कि यह बात तथ्य से खाली नहीं है। कुछ लोग तकिए के बिना सुलाकर चिकित्सा किया करते हैं।
प्रश्न-कुछ लोग नींद लेने के लिए बहुत देर तक लेटे-लेटे पढ़ते रहते हैं। इससे आंखों के स्नायुओं पर तनाव आता है और नींद जल्दी आ जाती है। क्या यह तरीका ठीक है?
उत्तर-मुझे इसका अनुभव ही नहीं, तब मैं कैसे कहूं कि यह ठीक है या नहीं। हां, मैं कह सकता हूं कि आंखों तथा शरीर को तनाव से मुक्त करना-कायोत्सर्ग करना ठीक है। नींद की चिन्ता करना नींद से दूर भागना है। कायोत्सर्ग करिए, जो होना है वह अपने आप होगा।
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