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हावीर, मार्क्स, केनिज और गांधी
नए आयाम खुले
इन सारे मापदंडों से हम महावीर, गांधी, मार्क्स और केनिज की चिंतनधारा को, इनकी प्रकृति को समझने का थोड़ा सा प्रयत्न करें तो उनके द्वारा दी हुई व्यवस्था को हम समझ सकेंगे। महावीर प्रत्यक्षत: कोई अर्थशास्त्री नहीं थे। वे तो अपरिग्रही थे किन्तु उनके अपरिग्रह में से अर्थशास्त्र के तमाम सूत्र फलित होते हैं। गांधी भी प्रत्यक्षत: एक साधक थे। उन्होंने राजनीति का माध्यम लिया इसलिए अर्थव्यवस्था का भी कुछ प्रतिपादन किया। मार्क्स और केनिज-ये दोनों विशुद्ध अर्थशास्त्रीय व्यक्तित्व थे, इसलिए अर्थशास्त्र को समझने के लिए इन दोनों को समझना होगा किन्तु केवल अर्थशास्त्र को समझ कर हम समाज को अच्छा नहीं बना सकते । कोरा अर्थ बढ़ा कर समाज को स्वस्थ और संतुलित नहीं रख सकते । महावीर और गांधी को समझे बिना मार्क्स और केनिज को समझा गया तो समाज की व्यवस्था अच्छी नहीं रहेगी। इन चारों का तुलनात्मक अध्ययन अर्थशास्त्रीय दृष्टि से बहत आवश्यक है । यह तुलनात्मक अध्ययन हमारे सामने कुछ नए आयाम खोल सकता है।
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